कोरोना की छाया बंगाल चुनाव और कोलकाता पर दिखाई पड़ती है।इस बार कोलकाता काफी बदला-बदला सा दिखा। हो सकता है कोरोना के बाद लोगों ने घरों से निकलना कम किया हो। सड़कों पर वैसी भीड़ नहीं दिखी, जैसी पिछली बार वीआईपी काफिले के साथ होने पर भी देखने को मिली थी। उस बार मौका कोल इंडिया के लिए लिखे मेरे एक गीत के लोकार्पण का था। कैलाश खेर का गाया वह गीत नई सरकार के आने के बाद कोल इंडिया की वेबसाइट से हट गया। कलाकारों का सियासत से पाला ऐसे ही पड़ता...
! यही एक डिजाइन का होर्डिंग पूरे कोलकाता में दिखा। दिलचस्प ये देखना रहा कि बाकी किसी दूसरी पार्टी का कोई होर्डिंग ही होटल से हवाई अड्डे के रास्ते नजर नहीं आया। दीदी का ऐसा दबदबा!, ये एक लाइन इस बार के चुनाव की पूरी अंतर्धारा भी है। ममता बनर्जी को दस साल शासन के बाद ऐसा कहने की जरूरत क्यों आन पड़ी? क्या अब भी बंगाल उनका पूरी तरह हो नहीं पाया है? या फिर कोई उनसे उनका बंगाल छीन रहा है? ममता के नारे में ना जाने क्यों मुझे करुण रस दिखता है। जैसे कन्हैया मां से जिद कर रहे हों,दूसरा नेता टीएमसी में...
नरेंद्र मोदी का काम है भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलाना और देश में हिंदुओं के हितों की रक्षा करना, ये काम वह बखूबी कर रहे हैं।’ ये बातचीत जिस होटल में हम रुके, उसकी लॉन में चल रही है। साथ में नेशनल अवाॅर्ड विनर डायरेक्टर अश्विनी चौधरी बैठे हैं, वे सारी बात सुनकर मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं। बंदिशें तोड़ना वैसे बंगाल की बुनियादी पहचान रहा है। यहां की मिट्टी हो या मानुष सब में बगावती तेवर पैदाइशी होते हैं। कोई किसी के बांधे रुकता नहीं।गुनगुनाकर कौन, कब किस दशा में हो जाए, पता नहीं चलता। दमदम हवाई अड्डा सुभाष चंद्र बोस के नाम से जाना जाता है। उनके नाम पर भी खूब सियासत यहां होती है।
ममता को उसके काले कारनामो ने पीछा करना चालू कर दिया है
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