30 मई 2024 को एक निराशाजनक फैसले के जरिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अंतरधार्मिक जोड़े की शादी को वैध बनाने के लिए सुरक्षा और सहायता की याचिका खारिज कर दी. साथ ही विशेष विवाह अधिनियम के तहत भी एक मुस्लिम पुरुष और एक हिंदू महिला की शादी को कोर्ट ने नाजायज घोषित कर दिया.कोर्ट ने अपने फैसले के पैराग्राफ 12 में कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत स्वीकृत विवाह व्यक्तिगत कानून या पर्सनल लॉ के निषेधों को खत्म नहीं कर सकता. यह कहना बड़ी गलत व्याख्या है.
एडिटर्स नोट: कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, “मोहम्मडन कानून के अनुसार, एक मुस्लिम लड़के का उस लड़की से विवाह वैध नहीं है जो मूर्तिपूजक या अग्नि-पूजक है. भले ही विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत हो, फिर भी विवाह वैध विवाह नहीं होगा.'धार्मिक प्रैक्टिस स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह के लिए सहमति के अधिकार को कम नहीं करती है. इस तरह के विवाह के और भी निहितार्थ होते हैं, जिनमें विरासत के अधिकार और पारिवारिक अलगाव शामिल हैं.
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