wow : ये लौकी है चौखी, मूली नहीं मामूली | oranic farming, healthy food, modern farming, progressive farmer | Patrika News

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wow : ये लौकी है चौखी, मूली नहीं मामूली

खेती में किया नवाचार : कई तरह के फलदार पौधे भी खेत में लहलहा रहेकिसान अमूमन पारंपरिक खेती कर अपना गुजारा करते हैं। पारंपरिक खेती में किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता, इसके चलते किसानों का मोह खेती से हटकर अन्य रोजगार के साधनों में बढ़ता जा रहा है। किशनगंज क्षेत्र के कामठा गांव के प्रगतिशील किसान इफ्तिखार बेग ने पारंपरिक खेती को छोड़कर किचन गार्डनिंग में जैविक खेती अपनाकर कई तरह की नस्ल की सब्जियों, फलों की पैदावार शुरू की है। उन्होंने 225 वर्ग मीटर के एरिया में ऑर्गेनिक तरीके से किचन...

बेग का कामठा में फार्म हाउस है। उन्होंने बाजार में आने वाली केमिकल व खाद से उपजने वाली सब्जियों से परेशान होकर खुद के घर के लिए ही ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार करने का इरादा किया। इस पर उन्होंने खेत पर ही 225 वर्गमीटर में किचन गार्डन तैयार किया। इसमें उन्होंने ऑर्गेनिक सब्जियां व फल तैयार किए हैं। बेग इन फल-सब्जियों में गोमूत्र और गोबर की खाद का उपयोग करते हैं। ऐसे में यह पूरी तरह जैविक है।

सब्जी, चेरी, लीची, अंजीर और काजू के पौधे भी : बेग अपने ऑर्गेनिक किचन गार्डन में टमाटर बैंगन, हरी मिर्च, पत्ता गोभी, गांठ गोभी, टिंडा, लौकी, गिलकी, कद्दू, करेला, शलजम, चुकंदर, मेथी, पालक, हरा धनिया, पेटा, मुली के साथ फलो में चेरी, लीची, अंजीर, काजू, केला, आम, चीकू अमरूद, शहतूत के पौधे तैयार किए हैं। कई फलों के पौधे तो जिले में ही उपलब्ध नहीं हैं। ऑर्गेनिक किचन गार्डन की यह पहल किसानों को प्रोत्साहित करने वाली है।पारंपरिक खेती के साथ ऑर्गेनिक खेती और किचन गार्डन की खेती लाभदायक है। कम खर्च पर...

 

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