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बड़े बदलाव: देशभर के कॉलेजों में दाखिले के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा, बोर्ड भी साल में दो बार

सीमा शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रत्नप्रिया रत्नप्रिया Updated Tue, 22 Oct 2019 01:40 PM IST
सार

  • देश के कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी
  • केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी, छात्रों पर होगा इसका असर

NEP 2019 Common entrance exam for Indian colleges, university admission by NTA, HRD Minister said
सांकेतिक तस्वीर
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विस्तार
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देश की शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलावों की तैयारी चल रही है। इस बारे में खुद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि सरकार देशभर के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव ला रही है।



केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह प्रस्ताव नई शिक्षा नीति (NEP - New Education Policy 2019-2020) के तहत लाया जा रहा है। इसमें देशभर के कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में विषय विशेष दाखिले के लिए एक ही परीक्षा कराए जाने का प्रावधान है। साथ ही विषय विशेष में साल में एक से ज्यादा बार प्रवेश परीक्षा का प्रावधान किया गया है। ये भी कहा गया है कि ये परीक्षाएं राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA - National Testing Agency) आयोजित कराएगी। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों का काम एकेडमिक, रिसर्च  पर फोकस करना होगा। इसके अलावा भी कई बदलावों का प्रावधान किया गया है। जिनके बारे में आगे बताया जा रहा है।


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बोर्ड परीक्षाओं में भी बड़ा बदलाव

  • अब विदेशों की तर्ज पर हमारे देश में पढ़ाई का फोकस रटने की जगह सीखने और बच्चों के विकास पर होगा।
  • अब बोर्ड परीक्षा में बच्चे अपनी पसंद के विषय चुन सकेंगे।
  • बोर्ड परीक्षाएं अब आसान बनाई जाएंगी, जिससे की बच्चों के ज्ञान को जांचा जा सके, न कि उनके रटने की शक्ति को। इसी मकसद से सरकार बोर्ड परीक्षा एक शैक्षणिक सत्र में एक बार की बजाय छह-छह महीने के अंतराल पर दो बार आयोजित करने की तैयारी कर रही है।
  • छात्र अपने समय का उपयोग विस्तृत ज्ञान अर्जित करने में लगाएं, इसके लिए एनसीईआरटी अगले वर्ष तक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2020 तैयार करेगी। अभी तक स्कूली शिक्षा नेशनल करिकुल फ्रेमवर्क 2005 के तहत चल रही है। 2022 में होने वाली बोर्ड परीक्षा इसी पाठ्यक्रम के आधार पर होगी।

बीएड कोर्स में बदलाव

  • नई शिक्षा नीति में अब बीएड कोर्स चार साल का हो जाएगा। 2030 के बाद उन्हीं उम्मीदवारों को शिक्षक की नौकरी मिलेगी, जिनके पास चार साल की लिबरल इंटीग्रेटिड बीएड डिग्री होगी। सरकार ने 2030 के बाद तीन वर्षीय बीएड डिग्री कोर्स पूरी तरह समाप्त करने का फैसला किया है।
  • चार वर्ष की डिग्री के साथ ही सरकार दो साल का बीएड डिग्री भी देगी। लेकिन यह केवल उन्हीं लोगों के लिए होगी, जिन्होंने कुछ विशेष विषयों में स्नातक डिग्री ली हो। सरकार एक साल का बीएड प्रोग्राम भी करवाएगी। लेकिन यह पोस्टग्रेजुएट या उसके बराबर योग्यता वाले छात्रों के लिए होगा।
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कक्षा आठ तक मातृभाषा में पढ़ाई

  • अब कक्षा आठ तक अपनी मातृभाषा में पढ़ने की आजादी होगी। छात्र चाहें तो इसके बाद भी मातृभाषा में ही पढ़ाई जारी रख सकते हैं। विज्ञान समेत सभी पाठ्यक्रमों की किताबें सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगी।
  • अब बच्चों को मोटी-मोटी किताबें नहीं पढनी पड़ेंगी। नई शिक्षा नीति में बच्चों को हर विषय के मूल तत्व आसान तरीकों से मसझाए जाएंगे। यानी लिखित के बजाय प्रैक्टिकल पर जोर। मस्ती के साथ पढ़ाई का फोकस कॉन्स्पेट्स, आइडिया, एप्लीकेशन, प्रैक्टिकल, प्रॉब्लम साल्विंग पर रहेगा। सरकार का मानना है कि दो से आठ साल तक बच्चे सबसे अधिक सीखते हैं। इसलिए इस उम्र में सीखने पर जोर दिया जाए।

अन्य बदलावों के प्रावधान

  • अब एक विषय की बजाय बहुविषयक डिग्री प्रोग्राम शुरू होंगे। जिन कोर्सेस में छात्रों की संख्या कम है या पुराने हो चुके हैं, उनके स्थान पर नए शुरू किए जाएं।
  • नालंदा-तक्षशिला की तर्ज पर भारतीय विश्वविद्यालयों को एक बार फिर बहुविषयक किया जाए। यानी लॉ, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, फार्मेसी आदि विश्वविद्यालय या कॉलेजों में विभिन्न विषयों पर आधारित पढ़ाई शुरू की जाएगी।
  • उच्च शिक्षण संस्थान दो प्रकार के होंगे। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में रिसर्च, पढ़ाई पर फोकस होगा। जबकि हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन क्लस्टर में छोटे-छोटे कॉलेज मिलकर एक बड़ा कॉलेज या फिर विश्वविद्यालय बना सकेंगे।
  • लिबरल एजुकेशन में भारत की 64 कलाओं को भी बढ़ावा मिलेगा। विभिन्न विषयों में दक्षता और क्षमता के आधार पर छात्रों को डिग्री की पढ़ाई करवाई जाएगी। इसका मतलब नॉलेज के साथ स्किल डेवलेपमेंट करना है, ताकि रोजगार के मौके भी उपलब्ध हों।
  • एमफिल प्रोग्राम समाप्त हो जाएगा। जबकि पीएचडी का रिडिजाइनिंग होगी।
  • आईआईटी, आईआईएम की तरह यूएस की तर्ज पर मॉडल पब्लिक विश्वविद्यालय बनाए जाएंगे, जो लिबरल एजुकेशन की पढ़ाई करवाएंगे।
  • वोकेशनल और प्रोफेशनल एजुकेशन को बढ़ावा दिया जाएगा।
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