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अब जापान के साथ मून मिशन की तैयारी में इसरो, चांद के ध्रुवीय क्षेत्र से लाएगा सैंपल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Sneha Baluni Updated Sun, 08 Sep 2019 08:23 AM IST
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Isro next mission is likely to be bigger and better and will be done with partnership of japan
भारत जापान के साथ पहले से बेहतर मून मिशन की तैयारी कर रहा है - फोटो : ucsusa.org
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भारत के महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चांद की सतह पर पहुंचने से पहले बेशक संपर्क टूट गया है लेकिन पूरी दुनिया ने इसरो के हौसले को सलाम किया है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का जज्बा भी कायम है। अब वह चांद पर बड़े मिशन की तैयारी कर रहा है। इसरो का अगला मून मिशन पहले से बेहतर और बड़ा होगा। माना जा रहा है कि यह मिशन चांद के ध्रुवीय क्षेत्र से सैंपल ला सकता है। 



चांद के ध्रुवीय क्षेत्र में शोध के इस मिशन को इसरो जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के साथ साझेदारी में करेगा। इसरो ने एक बयान में कहा, 'इसरो और जाक्सा के वैज्ञानिक चांद के ध्रुवीय क्षेत्र में शोध करने के लिए एक संयुक्त सैटेलाइट मिशन पर काम करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं।' चंद्रयान-2 की घोषणा 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान हुई थी। उस समय इसे रूस के साथ अंजाम देने की योजना थी। 

 

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रूप की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस को चंद्रयान-2 के लिए लैंडर उपलब्ध कराना था। हालांकि यह योजना किसी वजह से आगे वहीं बढ़ पाई जिसके बाद 2012 में इसरो ने अकेले इसे पूरा करने का निर्णय लिया। इस साल जुलाई में जाक्सा ने क्षुद्रग्रह पर अपने हायाबुसा मिशन-2 को सफलतापूर्वक उतारा था। इस मुश्किल मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर जापान ने अपनी तकनीकी क्षमता का लोहा मनवाया है। जाक्सा का यह मिशन क्षुद्रग्रह पर शोध करने से संबंधित था।

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इसरो और जाक्सा के संयुक्त मिशन को 2024 में लागू किया जाएगा। इससे पहले 2022 में भारत का प्रस्तावित गगनयान मिशन है जिसके तहत मानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। पहली बार भारत और जापान के संयुक्त मून मिशन को लेकर 2017 में सार्वजनिक तौर पर बात की गई थी। यह बातचीत मल्टी स्पेस एजेंसियों की बंगलूरू में हुई बैठक के दौरान हुई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2018 में जापान गए तो यह अंतरसरकारी बातचीत का भी हिस्सा था।

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