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यूपी के 22 जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट: 129 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों ने तीन मुद्दे उठाए, सभी राजनीतिक दलों ने कसी कमर

Himanshu Mishra हिमांशु मिश्रा
Updated Thu, 02 Dec 2021 05:49 PM IST
सार

अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर पहले चरण में 'अमर उजाला' का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' पश्चिमी यूपी और ब्रज के 22 जिलों में पहुंचा। यहां आम लोगों से उनके मुद्दों पर बात हुई। लोगों ने खुलकर अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं और चुनावी मुद्दों पर बात की। 

Ground report from 22 districts of UP: People of 129 assembly constituencies raised three big issues, BJP government may be in trouble in upcoming election
अमर उजाला सत्ता का संग्राम - फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश का सियासी बाजार इन दिनों गर्म है। कारण सभी जानते हैं। यहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर से कई तरह के दावे करने में जुटे हैं। योगी सरकार का दावा है कि पूरे प्रदेश में विकास की नई बयार बही है, तो विपक्ष इसे झूठ का पुलिंदा बताता है।


'अमर उजाला' ने इन दावों की ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और ब्रज के 22 जिलों की 129 विधानसभा सीटों का मुआयना किया। यहां के आम लोगों से उनके मुद्दों के बारे में जानने की कोशिश की गई। युवाओं, महिलाओं, व्यापारियों, मजदूरों समेत हर वर्ग के लोगों से बात की गई। हर किसी ने खुलकर चुनावी मुद्दों पर बात की। इस बीच दोनों तरह के पक्ष सामने आए। लोग कई मामलों में सरकार के काम से खुश हैं, तो कुछ मामलों में नाराज भी हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

इन जिलों में हुई पड़ताल

Ground report from 22 districts of UP: People of 129 assembly constituencies raised three big issues, BJP government may be in trouble in upcoming election
बुलंदशहर में चाय पर चर्चा करते लोग। - फोटो : अमर उजाला
11 नवंबर को 'सत्ता का संग्राम' कार्यक्रम की शुरुआत गाजियाबाद से हुई। यहां से अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर,हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ होते हुए कार्यक्रम का पहला चरण बुलंदशहर में समाप्त हुआ। इन सभी 22 जिलों में अलग-अलग वर्ग के लोगों से बात हुई। शुरुआत चाय पर चर्चा से की गई। इसमें हर वर्ग, हर क्षेत्र, हर धर्म और हर जाति के लोगों ने शिरकत की। 



कौन सा दल यहां कितना मजबूत है? 
इन 22 जिलों में कुल 129 विधानसभा सीटें हैं। गाजियाबाद में पांच, अमरोहा में चार, रामपुर में पांच, बरेली में नौ, बदायूं में सात, पीलीभीत में सात, शाहजहांपुर में छह, लखीमपुर खीरी में आठ, सीतापुर में नौ, हरदोई में आठ, फर्रुखाबाद में चार, कन्नौज, इटावा में तीन-तीन, मैनपुरी और एटा में चार-चार, फिरोजाबाद में पांच, आगरा में नौ, मथुरा में पांच, हाथरस में तीन, अलीगढ़ में सात और बुलंदशहर में सात विधानसभा सीटें हैं। अब राजनीतिक पकड़ की बात करें तो इन 122 सीटों में सबसे ज्यादा 109 पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। 18 सीटों पर सपा और दो पर बसपा के विधायक हैं। 
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कौन से मुद्दे सबसे ज्यादा हावी रहे?

Ground report from 22 districts of UP: People of 129 assembly constituencies raised three big issues, BJP government may be in trouble in upcoming election
बरेली की खराब सड़कें। - फोटो : सोशल मीडिया
स्थानीय लोगों से चाय पर चर्चा के दौरान इन सभी 22 में महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा हावी रहा। इसके अलावा 18 जिलों में खराब सड़कों को लेकर लोगों की नाराजगी दिखी। ज्यादातर लोगों ने सरकार के ओवरऑल कामकाज से तो खुशी जाहिर की, लेकिन इन मुद्दों पर सरकार को जल्द से जल्द सुधार लाने के लिए कहा। 

खराब सड़कों को लेकर लोगों का ये भी मानना है कि पहले के मुकाबले सड़कें भी बेहतर हुई हैं, लेकिन उतनी नहीं जितनी उम्मीद थी। लोगों का ये भी कहना है कि हाईवे और पुलों का निर्माण भी अच्छा हुआ है। हाईवे की सड़कें काफी बेहतर हैं, लेकिन शहर या नगर के अंदर की सड़कें काफी तकलीफ देती हैं। कुछ जिलों में सीवर, पानी की पाइप लाइन डालने के लिए सड़कों की खुदाई हुई है। 
  • इन जिलों में लोगों ने कहा- सड़कें खराब हैं, लेकिन पहले के मुकाबले ठीक हैं
गाजियाबाद, बदायूं, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा और हाथरस में 237 लोगों से तमाम मुद्दों पर बात की गई। इनमें से ज्यादातर ने अपने-अपने जिलों में सड़कों की स्थिति के बारे में बताया। कहा कि अभी भी जगह-जगह गड्डे हैं। आम लोगों को काफी परेशानी होती है। हालांकि, लोगों ने ये भी बताया कि अगर पहले के मुकाबले सड़कों की तुलना की जाए तो थोड़ा सुधार जरूर हुआ है। लोगों का कहना है कि सड़कें बनती तो हैं, लेकिन इसमें प्रयोग में लाए जाने वाले मटेरियल की क्वालिटी खराब होती है। इसके चलते एक ही बारिश में फिर से सड़कें टूट जाती हैं और जगह-जगह गड्डे हो जाते हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। 
 
  • इन जिलों में विकास कार्यों के लिए खुदी सड़कें
एटा, बरेली और अलीगढ़  के लोग भी सड़कों को लेकर काफी परेशान दिखे। लोगों ने कहा कि जगह-जगह सड़कें खुदी पड़ी हैं। वह भी लंबे समय से। कहीं सीवर का तो कहीं पानी की पाइप लाइन पड़ रही है। लोगों का कहना है कि पिछले दो से तीन साल से ये सड़कें इसी तरह खुदी पड़ी हैं। तय समय में विकास कार्य नहीं होते हैं। इसकी वजह से आम लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बारिश में इन गड्डों में पानी भर जाता है। कई एक्सीडेंट हो चुके हैं। 
 
  • इन जिलों में लोगों ने कहा- सड़कें ठीक हुई हैं

अमरोहा, रामपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर और बुलंदशहर के लोगों ने सड़कों को लेकर कुछ खास नाराजगी नहीं जाहिर की। कहा कि पहले के मुकाबले सड़कें अब काफी बेहतर हुई हैं। जहां, ट्रैफिक की समस्या होती थी, आज वहां ओवर ब्रिज बन चुका है।  

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महंगाई और रोजगार के मुद्दे पर क्या बोले लोग? 

Ground report from 22 districts of UP: People of 129 assembly constituencies raised three big issues, BJP government may be in trouble in upcoming election
हाथरस में चाय पर चर्चा करते लोग। - फोटो : अमर उजाला
लोगों ने युवाओं, महिलाओं के रोजगार का मुद्दा उठाया। कहा कि  सरकार को स्थानीय स्तर पर प्रत्येक जिलों में कोई न कोई इंडस्ट्री सेट करनी चाहिए, जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिल सके। इसके अलावा सरकारी भर्तियों को भी नियमित करने की मांग उठी। ज्यादातर युवाओं का कहना है कि सरकारी भर्तियां दो से तीन साल बाद निकलती हैं। ऐसे में कई युवाओं की उम्र निकल जाती है। सरकार को इसपर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि, कुछ लोगों ने स्वरोजगार को लेकर चलाई जा रही योजनाओं के बारे में भी कहा। बताया कि बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा स्वरोजगार की तरफ भी बढ़ रहे हैं। 

इसी तरह महंगाई का भी मुद्दा उठा। इसको लेकर दो-चार लोगों को छोड़कर सबकी राय एकमत दिखी। लोगों ने कहा कि पेट्रोल-डीजल, सब्जियां, गैस सिलेंडर सबकुछ महंगा हो गया है। ऐसे में घर चलाना मुश्किल होने लगा है। हालांकि, लोगों का ये भी मानना है कि सरकार ने गरीबों के लिए काफी कुछ किया है। मुफ्त राशन व अन्य कई सुविधाएं मुहैया कराई हैं, लेकिन मध्यमवर्गीय लोग परेशान हैं।
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