आज कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी मनाई जा रही है। इसे नरक चतुर्दशी,रूप चौदस, काली चौदस भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा है। इस दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती है। इसके बाद विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप करते हुए यम का पूजन करती है।
नरक चतुर्दशी पर तिल के तेल में दीपक जलाया जाता है और घर के बाहर मुख्य द्वार के पास अनाज के ढेर पर इस दिए को रखा जाता है जिसे रातभर जलाते हैं। इस दीपक को क्यों जलाया जाता है और इस पंरपरा का यमराज से क्या रिश्ता है। आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम पर क्यों जलता है दिया?
नरक चतुर्दशी पर तिल के तेल में दीपक जलाया जाता है और घर के बाहर मुख्य द्वार के पास अनाज के ढेर पर इस दिए को रखा जाता है जिसे रातभर जलाते हैं। इस दीपक को क्यों जलाया जाता है और इस पंरपरा का यमराज से क्या रिश्ता है। आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम पर क्यों जलता है दिया?