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भोजपुरी: संघर्ष के दिनों खेत गिरवी रखकर बेटी को अस्पताल से घर लाए थे रवि किशन

एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Published by: प्रतिभा सारस्वत Updated Sun, 17 Oct 2021 02:37 PM IST
Bhojpuri: Ravi Kishan brought the daughter home from the hospital by mortgaging the field during the days of struggle
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भोजपुरी इंडस्ट्री का आकार धीरे धीरे बड़ा हो रहा है। लाखों-करोड़ों चाहने वाले अपने भोजपुरी सिनेमा के स्टार्स पर जान छिड़कते हैं। उनकी फिल्मों को पसंद करते हैं और हिट कराते हैं। भोजपुरी सितारों की बात करें तो आज के दौर में सबसे बड़ा नाम रवि किशन का है। भोजपुरी फिल्मों से निकलकर उन्होंने उन्होंने बॉलीवुड तक अपना मुकाम बनाया। उन्होंने तेरे नाम, जिला गाजियाबाद, एजेंट विनोद और मुक्केबाज जैसी 30 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम किया है। सिर्फ हिंदी और भोजपुरी ही नहीं उन्होंने मराठी, तेलुगु और कन्नड भाषा की फिल्मों में भी काम किया है। अभिनय में एक बड़ा मुकाम हासिल कर चुके रवि किशन ने संघर्ष का बड़ा दौर देखा है। वो जमीन से उठकर आस्मां के सितारे बने हैं। आइए आज बताते हैं आपको उनके संघर्ष के दिनों की कहानी, जब वो अपनी जमीन गिरवी रखकर बेटी को अस्पताल से लेकर आए थे। 
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संघर्ष का एक बुरा दौर देखा
आज करोड़ों रुपए कमाने और रुतबा हासिल करने के बाद रवि किशन बेशक एक बड़े सितारे बन गए हैं। लेकिन एक दौर ऐसा भी था कि उनके पास अस्पताल का बिल चुकाने के पैसे नहीं थे। उनकी माली हालात इतनी खस्ता था कि जब उनकी पत्नी प्रेग्नेंसी के दौर में थीं तो अपनी जन्म के बाद अपनी बच्ची को निकालने के लिए उन्हें ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा था। इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन तक गिरवी रख दी थी। 
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फ्री में किया काम
स्टार बनने से पहले रवि किशन ने कई बार फ्री काम किया। एक बार एक किस्सा खुद रवि किशन ने बताया कि जब वो मुंबई की बारिश में भीगते हुए रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचे तो उन्होंने वहां जाकर सात से आठ घंटे की लंबी रिकॉर्डिंग की। जब प्रोड्यूसर से जाकर उन्होंने चेक मांगा तो प्रोड्यूसर ने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि काम दे दिया, ये क्या कम है... दोबारा चेक मत मांगना, वरना रोल काट दूंगा। 
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500 रुपए लेकर आ गए थे
हीरो बनना रवि किशन का सपना था। इस बात पर उनके पिता बहुत नाराज होते थे। यहां तक कि उन्हें बेल्ट से पीटते भी थे। लेकिन रवि किशन को हीरो बनने की धुन सवार थी। वो एक बार घर से 500 रुपए लेकर मुंबई भाग गए थे। उन 500 रुपए के बाद वो मुंबई में काम ढूंढने निकल गए थे। इस दौरान उन्होंने संघर्ष का खूब दौर देखा।
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अपने नाम किए अवॉर्ड्स
रवि किशन को फिल्म 'तेरे नाम' के लिए सर्वश्रेष्ठ सपोर्टिंग एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। वहीं, 2005 में आई उनकी भोजपुरी फिल्म 'कब होई गवनवा हमार' को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। वह ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने एक साथ हिंदी और भोजपुरी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हों।
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