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Indian origin lawyer vikram tiwari becomes first to be admitted to singapore bar posthumously
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दुर्भाग्य: सिंगापुर बार में मरणोपरांत वकील बने भारतीय मूल के विक्रम, आवेदन पर सुनवाई से नौ दिन पहले ही मौत
पीटीआई, सिंगापुर
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 20 Sep 2021 11:45 PM IST
सार
भारतीय मूल के विक्रम तिवारी के चाचा और वकील रमेश तिवारी ने मरणोपरांत अपने भतीजे को बार में शामिल कराने का प्रयास किया था।
विक्रम कुमार तिवारी
- फोटो : facebook
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कहते हैं मौत आने का कोई समय नहीं होता। ऐसा ही मामला एक सिंगापुर से आया है, यहां पहली बार भारतीय मूल के किसी वकील को मरणोपरांत सिंगापुर बार में शामिल किया गया है।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक सिंगापुर बार में दाखिले के उनके आवेदन पर इस साल नौ जून को सुनवाई होने थी लेकिन नौ दिन पहले ही 28 साल की उम्र में विक्रम कुमार तिवारी का निधन हो गया।
खबरों की अनुसार, सोमवार को न्यायमूर्ति चू हान टेक के एक फैसले में तिवारी को सिंगापुर बार में शामिल किया गया। तिवारी ने शेफील्ड विश्वविद्यालय से 2018 में स्नातक की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में पार्ट ए और पार्ट बी बार परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने 16 मार्च 2021 को बार में दाखिले के लिए आवेदन दिया था।
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उनके आवेदन पर 9 जून, 2021 को उनकी सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया था। सुनवाई से नौ दिन पहले तिवारी की दिल का दौरा से मृत्यु हो गई। खबर के मुताबिक, विक्रम के रिश्तेदार और वकील रमेश तिवारी ने मरणोपरांत उन्हें बार में शामिल कराने का प्रयास किया। इस प्रकार का आवेदन पहले कभी नहीं आया था इसलिए न्यायाधीश चू ने रमेश विक्रम तिवारी को दलीलें तैयार करने का समय प्रदान किया।
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चूंकि इस तरह के का आवेदन के लिए पहले कभी नहीं किया गया था, न्यायमूर्ति चू ने रमेश तिवारी के लिए दलीलें तैयार करने के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी और पुष्टि की कि आवेदन के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है।
वहीं न्यायमूर्ति चू ने सोमवार को अपने फैसले में पाया कि महत्वपूर्ण प्रश्नों का अनुकूल उत्तर दिया गया था और आवेदन देने के लिए अदालत के विवेक का प्रयोग किया और उन्हें मरणोपरांत सिंगापुर बार में शामिल कर लिया।
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