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कप्पा1 सेटी: वैज्ञानिकों ने खोजा ‘युवा सूर्य’ जैसा तारा, उजागर करेगा कई रहस्य

अमर उजाला रिसर्च टीम, वाशिंगटन। Published by: Jeet Kumar Updated Fri, 06 Aug 2021 06:19 AM IST
सार

द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित शोध का कहना है कि युवा सूर्य जैसे दिखने वाले इस तारे के अध्ययन से सूर्य के केंद्र से होने वाले उत्सर्जन, तारकीय हवाओं और शुक्र, पृथ्वी व मंगल के शुरुआती दिनों में हुए वायुमंडलीय क्षरण की गहन जानकारी मिली है।

scientist discover another Sun like star kappa1 seti
सूर्य - फोटो : twitter@NASA
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विस्तार
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हमने पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में तो काफी जानकारी हासिल कर ली है लेकिन इस पर जीवन संभव करने वाले सूर्य के शुरुआती दिनों के बारे में बहुत कम मालूम है।



यही वजह है कि अब अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक ऐसा नजदीकी तारा खोज निकाला है, जो सूर्य की जवानी के रहस्य उजागर कर सकता है। साथ ही इससे सूर्य द्वारा धरती के वायुमंडल को आकार देने और यहां जीवन विकसित करने का खुलासा भी हो पाएगा।


युवा काल जानने को लालायित वैज्ञानिक
शोधकर्ताओं का कहना है, 4.65 अरब साल पुराना सूर्य एक अधेड़ तारा है पर वह यह जानने को लालायित रहे हैं कि सूर्य अपने युवा काल में किन गुणों के कारण पृथ्वी पर जीवन मुमकिन करने में सफल रहा। लिहाजा, आकाशगंगा में सूर्य के समान दिखने वाले तारे की खोज की जा रही थी, जो इसके शुरुआती दिनों के रहस्य से पर्दा उठा सके।
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कप्पा1 सेटी उठाएगा सूर्य के रहस्य से पर्दा
वैज्ञानिकों के मुताबिक, कप्पा1 सेटी ऐसा ही एक तारा है, जो हमसे 30 प्रकाश वर्ष दूर है और अनुमानित रूप से 60 से 75 करोड़ साल पुराना है। यह सूर्य की उस उम्र के बराबर है, जब धरती पर जीवन विकास आरंभ हुआ था।
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अध्ययन के सह लेखक मेंग जिन का कहना है, नजदीकी तारा होने के कारण यह हमारे उस पड़ोसी की तरह है, जो अगली गली में रहता है। इसका भार और सतही तापमान हमारे सूर्य के समान है। यही बात इसे युवा सूर्य का जुड़वा बनाती है।

तीन गुना तेज घूमता था सूरज
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अपनी जवानी में सूर्य आज जैसा नहीं था। यह तीन गुना ज्यादा तेजी से घूमता था, इसका मजबूत चुंबकीय क्षेत्र था और अधिक तीव्र उच्च ऊर्जा कण-विकिरणें बाहर फेंकता था। लेकिन लाखों-करोड़ों वर्षों बाद इसका यह प्रभाव ध्रुवों तक ज्यादा सीमित हो गया।
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पृथ्वी पर पहुंची संतुलित ऊर्जा
शोधकर्ताओं का कहना है, सूर्य का अस्तित्व बनने पर इसमें हुई अत्यधिक गतिविधियों ने पृथ्वी के सुरक्षात्मक चुंबकीय मंडल को पीछे धकेला होगा और यहां पहुंची संतुलित ऊर्जा के चलते जैविक अणुओं के निर्माण के लिए सही वायुमंडल का निर्माण हुआ।

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