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जम्मू-कश्मीर : गांदरबल का जांबाज बशीर सिंध नाले से अब तक बचा चुका 19 की जानें
अमृतपाल सिंह बाली, कंगन, गांदरबल
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sat, 31 Jul 2021 01:47 AM IST
सार
करीब 70 से अधिक रेस्क्यू ऑपरेशनों को दे चुका अंजाम, पुलिस और एसडीआरएफ की करता है मदद, 51 शव भी निकाले
रेस्क्यू के दौरान बशीर
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
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मध्य कश्मीर का गांदरबल जिला अपनी खूबसूरती और वहां से गुजरने वाले सिंध नाले के लिए काफी मशहूर है। यह सिंध नाला हर साल किसी न किसी बड़े हादसे का गवाह बनता है। लेकिन जिले के कंगन इलाके का रहने वाला बशीर मीर एक ऐसा शख्स है जो जिले में वॉइल पुल से लेकर सोनमर्ग तक कोई भी हादसा होने के दौरान पानी में कूदकर रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने वाला पहला शख्स होता है। अभी तक वह करीब 70 से अधिक रेस्क्यू ऑपरेशन अंजाम दे चुका है, जिसमें उसने 19 जानें बचाई हैं, जबकि 51 से अधिक शव निकाले हैं।
हाल ही में दो दिन पहले सत्रुना गांदरबल में भी शाम को करीब छह बजे बशीर ने तीन युवकों को बचाने में एसडीआरएफ टीम की मदद की। यह तीनों युवक अचानक सिंध में पानी बढ़ जाने से बीच में फंस गए थे। बशीर ने बताया कि शाम करीब साढ़े पांच उसे फोन आया और वो बचाव कार्य के लिए पहुंच गया। सोनमर्ग में बादल फटने से उस समय सिंध में जल स्तर सामान्य से दोगुना था।
बशीर ने बताया कि वो बचपन से ही काफी समय इस सिंध नाले के करीब बिता चुके हैं और इस तेज बहाव वाले सिंध नाले में बचपन से ही तैराकी करते आए हैं। इससे उनका अनुभव ऐसे पानी में तैरने का काफी बढ़ गया है। बशीर के अनुसार ऐसे तेज बहाव वाले पानी में किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए एक हुनर और दूसरा जज़्बे की जरूरत होती है। फिटनेस लेवल का होना काफी महत्व रखता है क्योंकि तेज बहाव वाले पानी में तैरने से व्यक्ति काफी थक जाता है।
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पुलिस से पहले लोग बशीर को करते हैं फोन
बशीर ने बताया कि लोगों को पता है कि बशीर एक प्रोफेशनल तैराक है और जब भी कभी ऐसी घटना घटती है तो पुलिस और एसडीआरएफ से पहले मुझे ही लोग फोन करके बताते हैं। अभी तक वह करीब 70 से अधिक रेस्क्यू ऑपरेशन को एसडीआरएफ और पुलिस के साथ अंजाम दे चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 19 कीमती जानें बचाई हैं और 51 से ज्यादा शव निकाले हैं। बशीर ने बताया कि सिंध में अक्सर ऐसी घटनाएं होती हैं कभी राफ्ट पलट जाता है तो कभी कोई और हादसा हो जाता है। सबसे बड़े ऑपरेशन को उन्होंने वर्ष 2011 में सोनमर्ग में अंजाम दिया, जब एक ही स्कूल की महिला शिक्षक जिस राफ्ट में सवार थीं, वो पलट गया। उसमें उन्होंने 4 शिक्षकों को जिंदा निकाला जबकि 2 की मौत हो गई।
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