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जलवायु परिवर्तन : स्वच्छ ऊर्जा को लेकर भारत के प्रयासों की सराहना, अमेरिका बोला- दोनों देश इस मुद्दे पर प्रतिबद्ध सहयोगी

एजेंसी, वाशिंगटन। Published by: Jeet Kumar Updated Sat, 24 Jul 2021 10:42 AM IST
सार

जलवायु राजदूत के वरिष्ठ सलाहकार ने कहा, अमेरिका और भारत जलवायु परिवर्तन पर एक प्रतिबद्ध सहयोगी हैं। 

America appreciated efforts of pm modi on clean energy
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - फोटो : यूट्यूब स्क्रीनग्रैब
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अमेरिका ने भारत में कोविड-19 वैश्विक महामारी की चुनौतियों के बीच स्वच्छ ऊर्जा को लगातार बढ़ावा देने की मुहिम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की है। 



अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के विशेष दूत जॉन केरी के वरिष्ठ सलाहकार जोनाथन परशिंग ने कांग्रेस की समिति के समक्ष कहा कि अमेरिका और भारत जलवायु परिवर्तन पर एक प्रतिबद्ध सहयोगी हैं। अमेरिकी दूतावास ने कहा कि हम भारत को भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान, विकास पर एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखते हैं।  हमारा मुख्य फोकस स्वच्छ ऊर्जा और निम्न-कार्बन निवेश के माध्यम से भारत के डिकार्बनाइजेशन प्रयासों को समर्थन और प्रोत्साहित करना है, और इसके जीवाश्म ऊर्जा उपयोग को कम करने में भारत को सहयोग करना है। अमेरिका ने कहा है कि भारत जलवायु संकट के समाधान का महत्वपूर्ण हिस्सा है


परशिंग ने सांसदों से कहा, हम कोविड-19 संकट से पैदा चुनौतियों के बावजूद भारत में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निरंतर ध्यान देने का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, अप्रैल में दोनों सरकारों ने भारत-अमेरिका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दोनों पक्षों ने स्वच्छ तकनीकों और जलवायु परिवर्तन के लिए 2030 के एजेंडे की पहचान की।
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जलवायु परिवर्तन एवं सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय सैन्य परिषद महासचिव शेरी गुडमैन ने सांसदों को बताया कि परमाणु संपन्न पड़ोसियों भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों में जलवायु भी अहम कारक रहे हैं।
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चीनी कोशिशों की आलोचना
इससे पहले एक अध्ययन में भारत-चीन के बीच विवादित सीमा के पास जलवायु परिवर्तन को लेकर एक अनुमान लगाया गया, जहां करीब एक लाख भारतीय और चीनी सैनिक 15 हजार फुट की ऊंचाई पर तैनात हैं।

न्य परिषद महासचिव शेरी गुडमैन ने कहा, जिस जगह से ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है, वहां चीन दुनिया की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है। यह गलत है क्योंकि यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। इसने भारत के निचले इलाकों के लिए चिंता पैदा कर दी है।

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