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नीति: भारत ने ओपेक देशों पर बढ़ाया दबाव, कच्चे तेल के दाम कम रखने के लिए उठाया कदम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार संभव
Updated Thu, 24 Jun 2021 10:29 PM IST
सार
बता दें कि सऊदी अरब जैसे ओपेक देश परंपरागत रूप से भारत के कच्चे तेल के सबसे बड़े स्रोत रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से ओपेक और उसके सहयोगी देश जिन्हें ओपेक प्लस कहा गया।
पेट्रोल-डीजल
- फोटो : pixabay
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विस्तार
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देश में पेट्रोल, डीजल के खुदरा दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बीच भारत ने गुरुवार (24 जून) को तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक पर कच्चे तेल के दाम तर्कसंगत दायरे में रखते हुए कम करने के लिए दबाव डाला। साथ ही, कहा कि उत्पादक देशों को तेल उत्पादन में की गई कटौती को अब चरणबद्ध ढंग से समाप्त करना चाहिए।
बता दें कि सऊदी अरब जैसे ओपेक देश परंपरागत रूप से भारत के कच्चे तेल के सबसे बड़े स्रोत रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से ओपेक और उसके सहयोगी देश जिन्हें ओपेक प्लस कहा गया। ये देश भारत की तेल उत्पादन बढ़ाने की मांग को अनसुना कर रहे हैं, जिससे उसे अपने कच्चे तेल के आयात के लिए नए स्रोत तलाशने पड़ रहे हैं। गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक देश है।
यही वजह है कि मई में भारत के कुल तेल आयात में ओपेक देशों से होने वाले तेल आयात का हिस्सा कम होकर 60 प्रतिशत रह गया जो कि इससे पिछले महीने 74 प्रतिशत रहा था। भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धमेंद्र प्रधान ने ओपेक के महासचिव मोहम्मद सानुसी बरकिंडो के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बातचीत के दौरान कच्चे तेल के दाम को लेकर चिंता दोहराई। बता दें कि कच्चे तेल के दाम 75 डालर प्रति बैरल से ऊपर निकल गए हैं। ये दाम अप्रैल 2019 के बाद सबसे ज्यादा हैं।
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कच्चे तेल के बढ़ते दाम की वजह से देश में पेट्रोल और डीजल के खुदरा दाम रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोल 100 रुपये लीटर से ऊपर बिक रहा है, जबकि राजस्थान और ओडिशा में डीजल 100 रुपये लीटर से ऊपर बिक रहा है।
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ओपेक द्वारा बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है, 'मंत्री प्रधान ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कि भारत तेल का प्रमुख उपभोक्ता और आयातक देश है, आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए ईंधन की सस्ते दाम पर और नियमित आपूर्ति के महत्व को रेखांकित किया।'
पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से बाद में जारी एक बयान में कहा गया, 'प्रधान ने कच्चे तेल के बढ़ते दाम और उपभोक्ताओं के साथ साथ आर्थिक गतिविधियों में आने वाले सुधार पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कच्चे तेल के ऊंचे दाम से भारत पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ रहा है।'
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मंत्रालय के बयान में कहा गया, 'प्रधान ने कच्चे तेल उत्पादन में की गई कटौती को चरणबद्ध ढंग से समाप्त कि, जाने के अपने आग्रह को दोहराया। इसके साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि कच्चे तेल के दाम एक तर्कसंगत दायरे में रहने चाहि,। यह तेल उत्पादकों और उपभोक्ताओं के सामूहिक हित में होगा। इससे खपत आधारित सुधार को प्रोत्साहन मिलेगा।'
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