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White fungus causes holes in small and large intestine of Covid 19 patient
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चिंताजनक: आंतों में छेद, गैंग्रीन के अलावा कोरोना मरीजों के पेट में हो रहा रक्तस्राव
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Thu, 03 Jun 2021 05:52 AM IST
सार
मुंबई, दिल्ली सहित देश के अलग अलग राज्यों में दिख रहे हैं मामले
फंगस के अलावा पोस्ट कोविड में और भी गंभीर लक्षण वाले मरीज आ रहे सामने
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कोरोनावायरस
- फोटो : PIB
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विस्तार
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कोरोना संक्रमित या ठीक होने वाले मरीजों में फंगस, आंतों में छेद और गैंग्रीन के अलावा पेट में रक्तस्राव होने के मामले भी सामने आ रहे हैं। इन मरीजों की आंतों में थक्का जम रहा है। पेट में दर्द, पाचन न हो पाना जैसे अचानक से उभरे लक्षण गंभीर संकेत हो सकते हैं।
मुंबई, दिल्ली सहित देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसे मामले सामने आने लगे हैं। अकेले दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ही ऐसे 50 से 60 मरीज भर्ती हो चुके हैं जोकि पहली लहर की तुलना में 120 फीसदी अधिक हैं।
सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. अनिल अरोड़ा ने बताया कि पेट में होने वाले अनजाने दर्द के कारण तत्काल जांच जरूरी है। पिछले तीन सप्ताह में उनके यहां हर दिन चार से पांच ऐसे मरीज आए हैं जिन्हें आपातकालीन स्थिति में भर्ती करना पड़ा है। इनमें कई मरीज ऐसे भी हैं जिन्हें ऑपरेशन करने के बाद बचाया जा सका है।
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ठीक इसी तरह मुंबई के सिटी अस्पताल के निदेशक डॉ. अशोक सिंह ने बताया कि उनके यहां भी ऐसे मामले लगातार देखने को मिल रहे हैं। खास बात यह है कि 30 से 35 वर्ष की आयु के मरीजों में भी यह समस्या देखने को मिल रही है।
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उन्होंने बताया कि अक्सर पेट में दर्द को लोग हल्के में लेते हैं। उन्हें लगता है कि यह एसिडिटी (गैस) या कुछ गलत खाने से हुआ है लेकिन अगर यही दर्द दो दिन से अधिक समय से है तो तत्काल जांच बहुत जरूरी है। क्योंकि कोरोना संक्रमण के पोस्ट कोविड प्रभावों के बारे में हम अभी भी बहुत कुछ जानकारी नहीं रखते हैं।
एक्यूट मेसेन्ट्रिक इस्कीमिया (एएमआई) के चलते छोटी आंत के हिस्सों में खून की आपूर्ति प्रभावित होती है, जिससे गैंग्रीन की समस्या होती है। इसके अलावा फंगस का असर भी आंतों में मिल रहा है और थक्के जमने से यह परेशानी और भी जटिल हो सकती है।
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पोस्ट कोविड पर ध्यान देना जरूरी : एम्स निदेशक
दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का मानना है कि देश में अब पोस्ट कोविड उपचार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पहली की तुलना में दूसरी लहर का प्रसार काफी हुआ है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लक्षण जाने में हफ्ते लग जाते हैं लेकिन पोस्ट कोविड की इस स्थिति में मरीज को क्या क्या परेशानी हो सकती हैं?
यह जानने के लिए जरूरी है कि अस्पतालों में पोस्ट कोविड चिकित्सीय सेवाएं शुरू की जाएं। इन पर अध्ययन भी होने चाहिए। वहीं आईसीएमआर ने भी इन मामलों को लेकर शोद्यकर्ताओं से योगदान मांगा है।
आईसीएमआर के अनुसार कोरोना वायरस के प्रभावों को समझने के लिए वैज्ञानिक और चिकित्सीय अध्ययन आवश्यक हैं। इसके लिए बकायदा एक सिस्टम बना हुआ है जहां सभी आवेदन पर कम समय में ही फैसला लिया जा रहा है।
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