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सरकारी स्कूल बने गंदगी के ढेर, 75 फीसदी में टॉयलेट की नहीं होती सफाई : कैग

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Jeet Kumar Updated Thu, 24 Sep 2020 01:44 AM IST
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cag report says that 75 percent government schools toilets are not cleaned
सांकेतिक तस्वीर
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देश के बचपन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का पाठ पढ़ाने की जिम्मेदारी रखने वाले सरकारी स्कूल खुद ही गंदगी का ढेर बने हुए हैं। 15 राज्यों के 75 फीसदी सरकारी स्कूलों के टायलेट में साफ-सफाई के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की बात नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने बुधवार को संसद में पेश की गई ऑडिट रिपोर्ट में कही है।



इतना ही नहीं केंद्रीय सरकारी कंपनियों (पीएसयू) की तरफ से स्कूलों में बनवाए गए 11 फीसदी टायलेट अपनी जगह से ‘गायब’ मिले हैं यानी इनका निर्माण केवल कागजों में ही कर दिया गया, जबकि 30 फीसदी टॉयलेट संचालित ही नहीं किए जा रहे।



कैग ने दरअसल 15 राज्यों के 2048 स्कूलों के उन 2695 टॉयलेट का ऑडिट किया है। ये टॉयलेट 2014 में शिक्षा मंत्रालय की अपील पर चार मंत्रालयों की सरकारी कंपनियों की तरफ से निर्मित कराए गए 1,30,703 टॉयलेट में से एक थे। इन टॉयलेट का निर्माण 2162 करोड़ रुपये की लागत से कराया गया था।
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रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे के दौरान 2326 स्कूली टॉयलेट में से 1812 बुरी तरह गंदे पाए गए। दिन में कम से कम एक बार सफाई के मानक के विपरीत इन 1812 में से 715 टॉयलेट बिल्कुल भी साफ नहीं किए जाते, जबकि 1097 टॉयलेट में सप्ताह में दो बार से लेकर महीने में एक बार तक सफाई की जा रही है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, 200 टॉयलेट महज कागजों में ही बना दिए गए, जबकि 86 का आंशिक निर्माण किया गया। ऐसे 83 टॉयलेट मिले, जिनका निर्माण पहले ही किसी अन्य योजना में हो चुका था।

लड़के-लड़की का अलग टॉयलेट अब भी नहीं
यह निर्माण अभियान लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट के लक्ष्य के तहत चलाया गया था। लेकिन कैग रिपोर्ट के मुताबिक, 99 स्कूलों में कोई टॉयलेट नहीं चल रहा तो 436 स्कूल में एक ही टॉयलेट का उपयोग हो रहा है यानी 27 फीसदी स्कूलों में अब भी लड़के-लड़कियों के अलग-अलग टॉयलेट नहीं हैं।
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सर्वे में 72 फीसदी यानी 1679 स्कूलों में टॉयलेट जाने के बाद सफाई के लिए पानी की सुविधा ही मौजूद नहीं मिली, जबकि 55 फीसदी यानी 1279 स्कूलों में हाथ धोने के लिए साबुन या अलग से पानी नहीं मिलता।

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