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कश्मीर में नेताओं की रिहाई को लेकर PDP सांसद का अमित शाह को खत

पीडीपी के सांसद मीर फयाज ने जम्मू-कश्मीर में नेताओं की रिहाई को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खत लिखा है. उन्होंने नेताओं की तुरंत रिहाई की मांग की है. राज्यसभा सांसद मीर फयाज ने जम्मू और कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों की भी रिहाई की मांग की है.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल-PTI)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल-PTI)

  • PDP सांसद ने रिहाई के लिए अमित शाह को लिखा पत्र
  • घाटी के 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों को तुरंत रिहा किया जाए

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के सांसद मीर फयाज ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में बंद नेताओं की रिहाई को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खत लिखा है. उन्होंने घाटी के नेताओं की तुरंत रिहाई की मांग की है. साथ ही राज्यसभा सांसद मीर फयाज ने जम्मू-कश्मीर के 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों की भी रिहाई की मांग की है.

मीर फयाज ने अपने पत्र के जरिए मांग की कि राज्य के 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों को जल्द से जल्द रिहा किया जाए. ये लोग साढ़े 3 महीने से हिरासत में हैं.

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संसद परिसर में प्रदर्शन

इससे पहले जम्मू-कश्मीर मसले पर पीडीपी के राज्यसभा सांसद नजीर अहमद लावे और मीर मोहम्मद फैयाज ने सोमवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. दोनों सांसदों का कहना है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना गलत है. राज्य को मिला विशेष दर्जा जारी रहना चाहिए और हालात को जल्द से जल्द सामान्य किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने सभी राजनीतिक शख्सियतों की तुरंत रिहाई की मांग भी की.

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संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार से हुई है. सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने लगातार नारेबाजी की.

'कश्मीर में हालात सामान्य हो'

पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के समय से ही घाटी के ज्यादातर राजनेताओं को हिरासत में लिया गया और उन्हें डल झील के किनारे सेंटूर होटल में रखा गया था. लेकिन रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच श्रीनगर के सेंटूर होटल से कई नेताओं को पोलो ग्राउंड के पास एमएलए हॉस्टल में शिफ्ट किया गया है. इन नेताओं को ठंड बढ़ने के चलते एमएलए हॉस्टल में शिफ्ट किया गया है.

पीडीपी के सांसदों की मांग है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने चाहिए. पीडीपी सांसद मीर फैयाज का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर संसद और संसद के बाहर हमारा विरोध जारी रहेगा. 5 अगस्त के बाद हमारी आवाज बंद की गई, हमारा हक है और अपनी आवाज हम उठाएंगे. मोदी सरकार ने 5 अगस्त को जो फैसला लिया उससे आज कश्मीरी जनता बेहद परेशान है.

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