सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के अयोग्य विधायकों पर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक के अयोग्य ठहराए गए विधायक 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव में लड़ सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने उनकी अयोग्यता बरकरार रखी है. बता दें कि कर्नाटक में सरकार गठन की खींचतान के बीच कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 4 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए थे, जिन्हें बाद में विधानसभा स्पीकर ने अयोग्य घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के इंचार्ज अभिषेक मनु सिंघवी और रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक आधिकारिक और विस्तृत बयान जारी किया है.
कांग्रेस की तरफ से कहा गया है, "सर्वोच्च अदालत ने आज कर्नाटक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा धन एवं बाहुबल के निर्लज्ज प्रयोग के जरिए विधायकों की खरीद-फरोख़्त से सरकार बनाने के अनैतिक प्रयोग को खारिज कर दिया है. अदालत द्वारा तत्कालीन स्पीकर द्वारा दलबदलू विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के फैसले को कायम रखे जाने से इस मामले में अमित शाह और येदियुरप्पा के ऑपरेशन लोटस की नैतिकता, शुचिता एवं वैधानिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
भाजपाई सियासत के स्वघोषित कलयुगी चाणक्य का यह खेल न केवल देश के लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है बल्कि फैसले से यह भी साबित हो गया है कि देश में विधायकों की खरीद-फरोख़्त के जरिए जनादेश की सुपारी और फिरौती असंवैधानिक है. यह खेल कर्नाटक तक सीमित न रहकर देश के अधिकांश राज्यों में सत्ता की हवस मिटाने के लिए बदस्तूर खेला गया."
कांग्रेस ने अपने बयान में आगे लिखा है, "सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने कर्नाटक में 'ऑपरेशन कमल' के ढोल की पोल खोल दी. आज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से साफ है कि भाजपा का नाम अब 'भगौड़े जुटाओ पार्टी' रख देना चाहिए."
कांग्रेस ने साधा पीएम मोदी पर निशाना
कांग्रेस ने अपने बयान में लिखा है कि आज के निर्णय से तीन बातें साफ हैं...
(1)(i) अब साफ है कि भाजपा ने जेडीएस-कांग्रेस की चुनी सरकार को जबरन गिराया था.
(ii) येदयुरप्पा सरकार कानून और संविधान की दृष्टि से एक 'नाजायज' सरकार है और उसे फौरन बर्खास्त करना चाहिए.
(iii) इस्तीफे से दल-बदल ठीक नहीं हो सकता. अगर आप भगौड़े हैं, तो भगौड़े रहेंगे.
(2) जनमत और प्रजातांत्रिक मूल्यों की मांग है कि न केवल 'नाजायज' येदयुरप्पा सरकार बर्खास्त हो, बल्कि धन-बल के आधार पर विधायकों को खरीद कर चुनी हुई सरकार गिराने के भाजपाई षड्यंत्र की जांच हो.
(i) 'येदयुरप्पा टेप्स' की जांच हो.
(ii) ये सारा काला धन कहां से आया?
(iii) भाजपा नेतृत्व की क्या भूमिका थी?
(3) अब गेंद प्रधानमंत्री मोदी जी के पाले में है.
(i) क्या राजनीति की शुचिता की रोज दुहाई देने वाले मोदी जी अब 'नाजायज' येदयुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने का साहस दिखाएंगे?
(ii) क्या 'ऑपरेशन कमल' की निष्पक्ष जांच होगी?
(iii) क्या येदयुरप्पा व श्री अमित शाह की भूमिका की जांच होगी?
(iv) क्या आप अब भी इन भगौड़े विधायकों को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाएंगे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 'अयोग्य' घोषित किया है?