जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद सैकड़ों राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेताओं को हिरासत में लिया गया था. पिछले कुछ दिनों से कुछ नेताओं को छोड़ा भी जा रहा है लेकिन रिहाई के लिए हर नेता को एक बॉन्ड पर दस्तखत करने होंगे.
जिसमें यह लिखकर देना होगा कि वह 1 साल तक इस तरह की गहमागहमी राजनीति और जम्मू-कश्मीर में घटे घटनाक्रम के विरोध में प्रदर्शन नहीं करेंगे. इस बॉन्ड पर दस्तखत करने के बाद ही किसी भी राजनेता या नेता की रिहाई मुमकिन हो पाएगी.
जम्मू-कश्मीर में जितने भी लोग 5 अगस्त के बाद रिहा किए गए हैं, उनसे इस तरह के बॉन्ड पर दस्तखत कराए गए हैं. जाहिर है जिन नेताओं की रिहाई होगी उन्हें पहले सरकार के बॉन्ड पर दस्तखत करना ही होगा.
हिरासत में कई बड़े नेता
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद नेताओं, अलगाववादियों, कार्यकर्ताओं समेत कई लोगों को हिरासत में लिया गया था. इनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं.
प्रशासन ने कई नेताओं को किया रिहा
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 5 अगस्त को राज्य का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए तीन नेताओं को हाल ही में रिहा किया था. यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन को विभिन्न आधारों पर रिहा किया गया था. इससे पहले राज्यपाल प्रशासन ने पीपल्स कॉन्फ्रेंस के इमरान अंसारी और सैयद अखून को स्वास्थ्य कारणों से 21 सितंबर को रिहा किया था.