इन दिनों सात राज्यों में फैले पंजाब व महाराष्ट्र सहकारी ( PMC ) बैंक में हुए घोटाले की पूरे देश में चर्चा है। घोटाले की जानकारी रिजर्व बैंक को एक व्हिसलब्लोअर के माध्यम से मिली, जिसके बाद 23 सितंबर को केंद्रीय बैंक ने पीएमसी को अपने नियंत्रण में ले लिया और नगद निकासी की सीमा तय कर दी। यकायक सामने आए घोटाले की वजह से अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है।
24 सितंबर 2019 की सुबह पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसीबी) के लाखों ग्राहकों को जिंदगी भर नहीं भूलेगी। इसी दिन बैंक के ग्राहकों को यह जानकारी मिली कि रिजर्व बैंक ने पीएमसीबी को छह महीने के लिए अपने नियंत्रण में ले लिया है। इसका सीधा सा मतलब यह था कि बैंक का प्रबंधन और संचालन छह महीने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के हाथ में रहेगा। इस नियंत्रण का अर्थ यह था कि बैंक से जमा राशि की निकासी, ऋण आदि केंद्रीय बैंक द्वारा तय होगा।
देश में मार्च 2017 तक कुल 98,148 सहकारी बैंक और क्रेडिट सोसायटी थीं। इनमें से 96,606 ग्रामीण सहकारी बैंक व 1542 शहरी सहकारी बैंक थे। 1542 शहरी सहकारी बैंकों में सिर्फ 54 शेड्यूल व 1488 नॉन शेड्यूल बैंक थे। ग्रामीण सहकारी बैंकों में सबसे अधिक 95,595 प्राइमरी कृषि ऋण सोसायटी हैं।
आर्थिक समाचारों की वेबसाइट्स में प्रकाशित अलग-अलग रिपोर्ट के आकलन से यह पता चलता है कि देश में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक के बैंक घोटाले हो चुके हैं। बैंकों में धोखाधड़ी के 92 प्रतिशत मामले ऋण से संबंधित होते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने धोखाधड़ी से संबंधित जो सूचनाएं संकलित की हैं उसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में देश में कुल 6800 से अधिक धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं। इनमें बैंकों को 71500 करोड़ रुपये का चूना लगा। यहां हम आपको महाराष्ट्र के कुछ सहकारी बैंकों के कारनामों के बारे में बता रहे हैंः
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