संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अमेरिका और चीन के बीच चल रहे प्रौद्योगिकी तनाव को खत्म करने की अपील की है। उन्होंने दोनों राष्ट्रों से इस मुद्दे पर बातचीत के लिए आगे आने को कहा है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के साथ अमेरिका के सालों पुराने प्रौद्योगिकी विवाद पर टिप्पणी करते हुए गुटेरेस ने कहा कि 'उन्होंने हमेशा एक एकीकृत वैश्विक बाजार और एक वैश्विक अर्थव्यवस्था की वकालत की है। लिहाजा वैश्विक बाजार और अर्थव्यवस्था के ध्रुवीकरण से बचने के लिए व्यापार और...
दरअसल अमेरिका, अनुसंधान, विकास और अविष्कार के अपने लंबे इतिहास के साथ, दशकों से वैश्विक तकनीक का नेता बना हुआ था, जिसे अब चीन चुनौती दे रहा है। अमेरिका हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में वह बहुत आगे है। फौजी ड्रोन, उपग्रह और सिस्टम अमेरिकी सेना को दुनिया में सबसे अधिक ताकतवर बनाते हैं। यही वजह है कि बाइडन चीन को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं।
विशेषज्ञ इस तनाव को शीत युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक बताते हैं और जिसे ‘तकनीकी शीत युद्ध’ कहा जा रहा है। नया युद्ध क्षेत्र सूचना तकनीक-सेमीकंडक्टर, डेटा, 5 जी मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग से संबंधित है। माना जा रहा है कि यह तकनीक युद्ध अमेरिका-चीन के दायरे से निकलकर भारत समेत विभिन्न देशों के हितों को प्रभावित कर सकता है।संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अमेरिका और चीन के बीच चल रहे प्रौद्योगिकी तनाव को खत्म करने की अपील की है। उन्होंने दोनों...
बाइडेन प्रशासन भी चीन की टेक कंपनियों पर जबरदस्त दबाव बनाए हुए है। कहा जाता है कि बाइडन प्रशासन ने अमेरिका के कुछ सहयोगी देशों को चीनी कंपनी हुवावे का 5 जी नेटवर्क खरीदने से रोकने के लिए मजबूर किया है।प्रोद्योगिकी को लेकर तनाव एक व्यापार विवाद के रूप में शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर्स जैसी प्रमुख तकनीक को लेकर नेतृत्व की लड़ाई में बदल गया।
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