उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में राजनीतिक दलों को आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के चयन के बारे में जानकारी समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित करानी होगी.
उन्होंने बताया कि पार्टियों को नामांकन वापसी की अंतिम तिथि से प्रचार की अवधि खत्म होने तक कम से कम तीन बार ऐसे उम्मीदवारों के चयन का कारण प्रकाशित-प्रसारित कराना होगा.आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की सूचना को जन सामान्य तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदारी प्रत्याशी एवं राजनीतिक दल दोनों को दी गई है.
आज BSP की ओर से मेरठ जिले के उनकी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों का विवरण अखबार में देखा। यह विवरण अंग्रेजी में प्रकाशित कराया गया है। UP में कितने प्रतिशत वोटर इसे समझेंगे। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन जैसा है।
चुनाव आयोग ऐसे दागी लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक क्यों नहीं लगाता.जब एक सरकारी नौकरी के लिए साफ़ चरित्र होना जरूरी है तो नेता बनने के लिए क्यों नहीं. ये कहना गलत नहीं होगा कि चुनाव आयोग को भी कोई मतलब नहीं है.
2002 yaad h dalaal media ko
मियां बीबी राजी, तो क्या करेगा काजी। सबको अपनी जाति के अपराधी अच्छे लगते हैं।
फीर मुख्यमंत्री उनुपयोगी और स्टोल मंत्री केशव प्रसाद मोरिया और गृह राज्य मंत्री टेनी शर्मा को भी अप्राधि होने की वजह से समस्या का सामना करना पड़ेगा.?
“Already as of now in India,it is a crime for a man to get married. If a man gets married & if he is accused of rape,there is no way for him to defend himself. He has no protection.” AnilMurty creator of the MarriageStrike hashtag
मतलब... बाबा मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम चुनाव नहीं लड़ पाऐंगे! दंगाई/भाजपाई हटाओ उप्र बचाओ! अखिलेश_आ_रहे_हैं yadavakhilesh
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