Uttarakhand Election 2022: कांग्रेस हाई कमान के वीटो के बाद ही हुई पार्टी में इंट्री, अब कितना कमाल कर पाते हैं हरक सिंह रावत?

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Uttarakhand Election 2022: कांग्रेस हाई कमान के वीटो के बाद ही हुई पार्टी में इंट्री, अब कितना कमाल कर पाते हैं हरक सिंह रावत? UttarakhandElections2022

था। कांग्रेस के भी कुछ नेता हरीश रावत पर लगाम कसने के लिए इस रणनीति को आगे बढ़ाने में जुट गए थे। इसकी पृष्ठभूमि यशपाल आर्य के पार्टी में लौटने के बाद ही बन गई थी, लेकिन इस राजनीतिक चाल को हरीश रावत को समझने में जरा भी देर नहीं लगी।उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ऐन पहले हरक सिंह रावत को राजनीति में अपनी इज्जत और वजूद बचाने के लिए खूब पापड़ बेलने पड़े। कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत की राजनीति के आगे वह न केवल पस्त हुए, बल्कि कांग्रेस हाई कमान, राज्य के प्रभारी मोहन प्रकाश के वीटो के बाद ही उनकी...

हरक सिंह रावत के प्रभाव वाले तमाम विधानसभा क्षेत्रों में हरीश रावत के साथ खड़े होने वाले कांग्रेस के युवा नेता प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। लैंसडौन, डोईवाला, केदारनाथ, चौबट्टाखाल और श्रीनगर जैसे तमाम विधानसभा क्षेत्रों में हरक सिंह रावत बड़े नेता का दबदबा रखते हैं। इनके लिए प्रचार करना और इन्हें पार्टी का जिताने की अब बड़ी जिम्मेदारी हरक सिंह रावत के कंधे पर है।

उत्तराखंड के राजनीतिक पंडित बताते हैं कि इसे भूल पाना भी हरीश रावत के लिए आसान नहीं था। लिहाजा उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इस प्रकरण को लेकर अपने दिल की बात कह दी। यही उन्होंने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ भी साझा किया। उत्तराखंड के एक पूर्व मंत्री का कहना है कि हरीश रावत कहीं न कहीं हरक सिंह रावत को कांग्रेस में लेने के पक्ष में थे, लेकिन वह उन्हें लेने से पहले कुछ स्पष्टता चाहते थे। वह बताते हैं कि हरक सिंह रावत भले कहें कि वह बिना किसी शर्त के कांग्रेस...

इसमें पूर्व मुख्यमंत्री काफी हदतक सफल हो चुके थे, लेकिन इसी बीच में हरक सिंह रावत का प्रकरण आ गया। था। कांग्रेस के भी कुछ नेता हरीश रावत पर लगाम कसने के लिए इस रणनीति को आगे बढ़ाने में जुट गए थे। इसकी पृष्ठभूमि यशपाल आर्य के पार्टी में लौटने के बाद ही बन गई थी, लेकिन इस राजनीतिक चाल को हरीश रावत को समझने में जरा भी देर नहीं लगी।हरक और हरीश एक पार्टी में भले हैं, लेकिन कभी एक दूसरे के काफी करीब रहने वाले दोनों नेताओं के बीच अब एक बहुत बारीक लेकिन मजबूत दीवार खड़ी हो गई है। कभी दिल्ली के केंद्रीय...

कांग्रेस के लिए 2016 में उत्तराखंड की चुनी सरकार गिराने का षडयंत्र एक शूल की तरह था। तब हरीश रावत मुख्यमंत्री थे। षडयंत्र में मुख्य किरदार हरक सिंह रावत ने निभाया था। तब हरीश रावत के समर्थकों ने इस दर्द को भूलने के लिए इसे कांग्रेस का कचरा साफ होना बताया था। उमेश काऊ जैसे नेताओं ने हरक के इशारे पर बड़ी भूमिका निभाई थी।

 

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दलबदलू सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए कमाल करते हैं इन्हें पार्टी, पार्टी की विचारधारा, पार्टी के कार्यकर्ता और क्षेत्र की जनता से कोई लेना-देना नहीं होता!.. जहां अपना विकास देखा उधर के ही हो गये!!

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