कर्नाटक में उपचुनाव की घोषणा लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अभी बाकी

  • इमरान क़ुरैशी
  • बेंगलुरू से, बीबीसी हिन्दी के लिए
चुनाव आयोग

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चुनाव आयोग ने कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की अधिसूचना जारी कर दी है. हालांकि इस मामले में अंतिम फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है. ये फ़ैसला अगले सप्ताह आ सकता है.

कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS) के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद इन सीटों पर उपचुनाव कराने की स्थिति बनी है.

कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने जेडीएस विधायकों को दलबदल क़ानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने के आरोप में अयोग्य ठहराया और उनकी सदस्यता छीन ली.

इसका असर ये हुआ कि राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार गिर गई और बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनी.

अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की और कहा कि स्पीकर ने मनमानी की है और उन्हें अयोग्य ठहराया जाना सरासर ग़लत है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए मामला देरी से पहुंचा. मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक से एक जज ने इस केस से ख़ुद को अलग कर लिया. अब ये मामले अगले हफ़्ते सुनवाई के लिए रखे जाने की उम्मीद है.

सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट के पास विकल्प क्या हैं?

उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने पर क़ानून के जानकारों के बीच इस बात की बहस शुरू हो गई है कि क्या ये कदम सही है? क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और अयोग्य ठहराए गए विधायकों की याचिका पर सुनवाई अभी बाकी है.

मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की स्थिति में क्या चुनाव आयोग को उपचुनाव की अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी? इस मुद्दे पर कर्नाटक के दो पूर्व एडवोकेट जनरल विपरीत राय रखते हैं.

पूर्व एडवोकेट जनरल रवि कुमार वर्मा ने बीबीसी से कहा, "अयोग्य ठहराए गए विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद कम है."

उन्होंने कहा, "आर्टिकल 329 (बी) के मुताबिक, अधिसूचना जारी होने के बाद ऐसे मामलों में कोर्ट का दखल पूरी तरह प्रतिबंधित है. ऐसे किसी भी मामले की शिकायत सिर्फ चुनावी याचिका के तहत की जा सकती है."

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उन्होंने यह भी कहा कि अयोग्य ठहराए जाने के बाद विधायकों के पास पद पर बने रहने का मौलिक अधिकार नहीं है. मौलिक अधिकार सिर्फ आर्टिकल 32 के तहत लागू होते हैं लेकिन उनकी याचिका आर्टिकल 32 के तहत नहीं बरकरार रह सकती.

हालांकि अशोक हर्नाहल्ली का पक्ष इससे अलग है. उनका कहना है कि जब तक अयोग्य ठहराए जाने की वैधता नहीं परख ली जाती, उपचुनाव कराया जाना सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश भी जारी कर सकता है.

हर्नाहल्ली ने कहा, "अगर ऐसा रहा और सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले उपचुनाव हो गए तो इसका असर उन तमाम मामलों पर पड़ेगा जिसमें विधायकों के पास स्पीकर के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने का अधिकार है. वो मामले भी रद्द हो सकते हैं."

कर्नाटक विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी के विश्वासमत हार जाने के बाद 'विक्ट्री साइन' बनाते बीजेपी विधायक

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इमेज कैप्शन, कर्नाटक विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी के विश्वासमत हार जाने के बाद 'विक्ट्री साइन' बनाते बीजेपी विधायक

राजनीतिक हलचल और चिंताएं

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से कर्नाटक की राजनीतिक में एक बार फिर उथल-पुथल मच सकती है. अगर कोर्ट को लगता है कि विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना सही नहीं था तो राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की चिंता एक बार फिर बढ़ सकती है.

उन्हें जल्द से जल्द उन विधायकों को मंत्रालयों में शामिल करना पड़ेगा जिन्हें अयोग्य ठहराया गया था. हालांकि येदियुरप्पा ने बेहद नपे तुले कदम उठाए थे और अब तक उन्होंने कैबिनेट में आधे मंत्री ही रखे हैं.

उनकी समस्या तब बढ़ेगी अगर सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग की प्रक्रिया में दखल ना देने का फ़ैसला करता है. इसका मतलब ये होगा कि अयोग्य ठहराए गए विधायक उपचुनाव में नहीं उतर सकेंगे. उन्हें विधायक बनने के लिए अगले आम चुनाव का इंतज़ार करना होगा.

बीजेपी के एक नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बीबीसी से कहा, "उन्हें कोई चिंता नहीं है. उपचुनाव में वो उम्मीदवार नहीं भी होंगे तो भी कोई दिक्कत नहीं. उनका प्लान बी तैयार है. उन्हीं का कोई करीबी और ख़ास व्यक्ति उनकी सीट से चुनाव लड़ेगा और उनके लिए सीट पर कब्जा करेगा."

एचडी देवेगौड़ा

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लेकिन इस वक़्त ध्यान कांग्रेस और जेडीएस पर है कि उपचुनाव में क्या दोनों पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी या अलग-अलग. जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि वो अभी पार्टी नेताओं से इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि क्या उन्हें अकेले चुनाव लड़ना चाहिए या कांग्रेस के साथ.

उन्होंने कहा, "मैं पार्टी के सभी नेताओं से मिल रहा हूं और कल हम तय करेंगे कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना या नहीं."

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