एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कानून मंत्री का बयानरविशंकर ने कहा कि संविधान में कलीजियम प्रणाली की जिक्र नहींने शुक्रवार को यहां भारतीय संविधान पर लिखी एक पुस्तक के विमोचन समारोह में कहा कि वह आश्वस्त कर देना चाहते हैं कि देश में कोई भी नया संविधान नहीं बनने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के चुनाव में प्रधानमंत्री की अहम भूमिका होती है, फिर न्यायाधीशों की नियुक्ति में प्रधानमंत्री की भमिका क्यों नहीं हो...
प्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'जब देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के चुनाव में सबसे अहम भूमिका प्रधानमंत्री की होती है। मुख्य चुनाव आयुक्त, सीएजी, सीवीसी जैसे संवैधानिक पदों के लिए नियुक्तियों में प्रधानमंत्री की भूमिका होती है, सभी मंत्री उनके अधीन काम करते हैं तो क्या वह एक ईमानदार जज नहीं नियुक्त कर सकते।'
रविशंकर ने कहा, 'प्रधानमंत्री देश की सुरक्षा, संप्रभुता का इंचार्ज होता है। परमाणु बम तब तक नहीं चलेगा, जब तक वह बटन नहीं दबाएगा, क्या इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले प्रधानमंत्री से एक ईमानदार जज नियुक्त करने की अपेक्षा नहीं होनी चाहिए। मुझेके फैसले पर आपत्ति है।' रविशंकर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें सरकार की ओर से जजों की नियुक्ति के लिए कॉलीजियम की जगह सुझाए गए 6 सदस्यीय आयोग के गठन के फैसले को नकार दिया गया...
प्रसाद ने कहा कि जिसे जनता चुनती है, उसे ही सरकार चलाने और कानून बनाने का हक होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'देश के संविधान में कलीजियम प्रणाली का जिक्र नहीं है, मगर 1991 से यह व्यवस्था अमल में आई। 1991 से पूर्व जब जजों को चुनने में भारत सरकार की भूमिका होती थी, तब क्या एक से बढ़कर एक कृष्ण अय्यर, वेंकटरमण, जगमोहनलाल सिन्हा जैसे ईमानदार जज नहीं देश को मिले?'
पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ.
क्योंकि राष्ट्रपति तो कठपुतली हो सकता है जज नहीं
rsprasad ji these positions should be independent of government. There shouldn't be any Government involvement in the selection as they will not be fair for any case against government. Why they want to have all power in their hand? LambaAlka priyankagandhi INCIndia
कांग्रेस शासन में तो उनकी इच्छा के जज ही बनते थे कोई मुख्य मंत्री का बेटा तो कोई और रिश्तेदार वे कैसे बन जाते थे उस वक्त रबर स्टाम्प होते हुए भी रबर स्टाम्प नही कहलाते थे
किसी को बना दो जो गुलामी कर सके ।क्वालिफिकेशन में चमचागिरी आनी चाहिए
Delete democracy main objective of bjp
सही ।
Agreed, this is must & be immediately implemented
CBI जैसा पिंजरे का पोपट बनाने के लिए
इस तकृ में कोइ दम नहीं
ताकि राष्ट्रपति की भांति, जजों से भी अपनापन हो जाए । इससे सर्वशक्तिमान कौन होगा ।
न्यायाधीशों का चुनाव होना चाहिए AIJS परीक्षा ही बेहतरीन विकल्प है । Article312 के अन्तर्गत AllIndiaJudicialServices का गठन होना चाहिए । CleanseOurCourts Collegium व्यवस्था से कुछ परिवारों के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी जज बनते रहेंगे और बिना चुनाव लड़े ही देश पर शासन करते रहेंगे ।
राष्ट्रपति को भी प्रधानमंत्री ने चुना तो क्या चुनाव फर्जी था
जज की नियुक्ति होती है लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव होता है ...न्याय पालिका को राजनीति का अड्डा मत बनने दो ...जज के चुनाव में कोई भी राजनैतिक व्यक्ति या पार्टी का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए
सही बोले ! जिससे कि न्यायपालिका भी प्रधानमंत्री की रबर स्टाम्प बन सके ।
Nonsense.... Government should stay 100miles away from appointing judges. Especially since govt is a party in over 80% of cases in judiciary.
I support Ravishankerji
चर्चा क्यौं करते हो ? करो जजों की नियुक्ती !! लेकिन इन्साफ जल्दी दिलाओ !!!!
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