संतोष गंगवार बोले : 'नौकरी की कमी नहीं, उत्तर भारत में योग्य लोगों की कमी', प्रियंका गांधी ने साधा निशाना

संतोष गंगवार

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केंद्रीय श्रम और रोजगार मामलों के राज्य मंत्री संतोष गंगवार का एक बयान सोशल मीडिया पर सुर्ख़ियां बटोर रहा है.

अपने संसदीय क्षेत्र बरेली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, "देश में रोजगार की कमी नहीं है. हमारे उत्तर भारत में जो रिक्रूटमेंट करने आते हैं, इस बात का सवाल करते हैं कि जिस पद के लिए रख रहे हैं, उसकी क्वालिटी का व्यक्ति हमें कम मिलता है. "

गंगवार ने प्रेस कांफ्रेंस में यह भी कहा, "आज कल अखबारों में रोजगार की बात आ गई है. हम इसी मंत्रालय को देखने का काम कर रहे हैं, रोज ही इसकी निगरानी करते हैं. देश भर में रोजगार की कमी नहीं है. रोजगार बहुत है."

गंगवार का यह बयान नेशनल सैंपल सर्वे के उस डेटा के उलट है जो 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले लीक हो गया था, जिसके मुताबिक देश भर में बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. तब सरकार ने लीक रिपोर्ट को खारिज किया था.

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लीक हुई रिपोर्ट बाद में सच साबित हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दूसरी कैबिनेट के शपथ लेने के एक दिन बाद ही सरकार ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि बीते चार दशकों में बेरोजगारी दर सबसे ख़राब स्तर पर पहुंच गई है.

इस आंकड़ों के बाद देश भर में रोजगार का संकट पिछले दिनों भी बढ़ा है. आर्थिक विकास दर घट कर पांच फीसदी पर आने से ऑटो सेक्टर, टैक्सटाइल सेक्टर, चाय उद्योग सबमें लगातार छंटनियों की ख़बर सामने आ रही है.

ऐसे में संतोष गंगवार के बयान पर काफी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है, "मंत्री जी, पांच साल से ज्यादा आपकी सरकार है. नौकरियां पैदा नहीं हुई हैं, जो नौकरियां थीं वो सरकार द्वारा लाई गई आर्थिक मंदी के चलते छिन रही हैं."

प्रियंका गांधी ने ट्वीट में ये भी लिखा है, "आप उत्तर भारतीयों का अपमान करके बच निकलना चाहते हैं. ये नहीं चलेगा."

वैसे शनिवार को दिए बयान पर संतोष गंगवार ने रविवार दोपहर आते आते सफ़ाई भी दी है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक गंगवार ने अपनी सफ़ाई में कहा है कि वो बयान अलग संदर्भ में दिया गया था. अपनी सफ़ाई में उन्होंने माना है कि स्किल की कमी है और सरकार ने स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय नौकरियों के मुताबिक बच्चों को ट्रेनिंग देने के लिए ही शुरू किया है.

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पिछले दिनों फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट फैक्टचैकर डॉट इन ने भी एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करके बताया है कि किस तरह से पिछले दिनों में नौकरियां लगातार कम हुई हैं.

अजीम प्रेम जी यूनविर्सिटी की सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एंप्लायमेंट ने स्टेट ऑफ़ वर्किंग इंडिया-2019 की सालाना रिपोर्ट में बताया है कि 2016 के बाद से शहरी और ग्रामीण इलाक़े में लगातार नौकरियां कम हुई हैं.

संतोष गंगवार के बयान के बाद सोशल मीडिया पर कई लोग पूछ रहे हैं कि 2014 में मोदी सरकार ने जो स्किल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया था, उसका क्या हुआ.

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इसके अलावा भी तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. एक यूजर आलोक वर्मा ने लिखा है, ''मैंने तीन महीने में 400-500 फॉर्म डाले, सारे एक्जाम टाइम से कंडक्ट हुए, एक भी पेपर लीक नहीं हुआ, एक्जाम कैंसल नहीं हुआ, सबका रिजल्ट टाइम पर आया, 100-200 ऑफ़र आ गए, 40-50 में अकेले ही ज्वाइन करूंगा.''

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बीते एक सप्ताह में ये तीसरा मौका है जब केंद्र सरकार के किसी मंत्री का बयान विवादों से घिर गया है. गुरुवार को केंद्रीय रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मौजूदा आर्थिक विकास दर को देखते हुए भारत पाँच लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था कैसे बनने के सवाल पर कहा कि हिसाब किताब में मत पड़िए.

उन्होंने कहा, "आप उस हिसाब-किताब में मत पड़िए जो टीवी पर देखते हैं कि 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के लिए देश को 12 प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ना होगा. आज यह 6 प्रतिशत की रफ़्तार से बढ़ रही है. ऐसे हिसाब किताब में मत पड़िए. ऐसे गणित से आइंस्टाइन को गुरुत्वाकर्षण की खोज में मदद नहीं मिली. अगर आप बस बने बनाए फ़ार्मूलों और अतीत के ज्ञान से आगे बढ़ते तो मुझे नहीं लगता कि दुनिया में इतनी सारी खोज होती."

इससे पहले बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटो सेक्टर में दिख रही मंदी के लिए युवाओं की सोच में बदलाव को ज़िम्मेदार बताया था, इसके लिए उन्हें भी सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

वित्त मंत्री ने अपने बयान में कहा था, ''ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर बीएस6 और लोगों की सोच में आए बदलाव का असर पड़ रहा है, लोग अब गाड़ी ख़रीदने की बजाय ओला या उबर को तरजीह दे रहे हैं.''

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