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समान काम के लिए समान वेतन का आदेश जारी, केंद्र के 10 लाख अनियमित कर्मचारियों को होगा लाभ

शरद गुप्ता, नई दिल्ली Published by: Nilesh Kumar Updated Thu, 12 Sep 2019 05:54 AM IST
सार

  • कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने जारी किया आदेश
  • हालांकि नियमित रोजगार पाने का नहीं होगा हक
  • जितने दिन काम करेंगे, उतने दिनों का भुगतान होगा 

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Order for equal pay for equal work issued 10 lakh irregular employees of center will be benefited
सांकेतिक तस्वीर

विस्तार
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केंद्र सरकार ने अपने अंतर्गत आने वाले विभिन्न विभागों में काम कर रहे दस लाख अनियमित (कैजुअल) कर्मचारियों के लिए समय से पहले ही दीवाली मनाने का प्रबंध कर दिया है। इन सभी को अब नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलेगा। प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने बुधवार को इस संदर्भ में आदेश जारी किया।  


आदेश के अनुसार, अब सभी अनियमित कर्मचारियों को आठ घंटे काम करने पर उसी पद पर काम करने वाले नियमित कर्मचारियों के वेतनमान के न्यूनतम मूल वेतन और महंगाई भत्ते के बराबर ही भुगतान होगा। वे जितने दिन काम करेंगे, उन्हें उतने दिनों का भुगतान होगा। हालांकि आदेश संख्या 49014/1/2017 के अनुसार उन्हें नियमित रोजगार पाने का हक नहीं होगा।


फिलहाल इन कर्मचारियों को संबंधित राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन मिल रहा था। दिल्ली सरकार ने अकुशल श्रमिकों के लिए 14,000 रुपये महीने का वेतन तय किया है, लेकिन इस आदेश के बाद उन्हें ग्रुप डी के वेतनमान में न्यूनतम वेतन यानी 30,000 रुपये महीने की दर से भुगतान होगा। यानी एक ही बार में उनकी आमदनी दोगुनी हो जाएगी।

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी अनियमित कर्मचारी का काम नियमित कर्मचारी के काम से अलग है तो उसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन के आधार पर ही भुगतान किया जाएगा। सभी मंत्रालयों और विभागों को भेजा डीओपीटी का यह आदेश ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के आधार पर दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है।

अब भी शंका

सरकार के स्पष्ट आदेश के बावजूद ट्रेड यूनियन नेता इसके लागू हो पाने को लेकर शंका जता रहे हैं। देश की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ के पूर्व अध्यक्ष बैजनाथ राय का कहना है कि इस तरह के कई आदेश पहले भी जारी हुए लेकिन लागू नहीं किए गए।

चूंकि अब सरकार ने ग्रुप सी और डी की अधिकतर नौकरियां निजी ठेकेदारों को आउटसोर्स कर दी हैं, ऐसे में आदेश को लागू करा पाना सबसे बड़ी चुनौती है। सीटू नेता तपन रॉय का कहना है कि यह केवल केंद्रीय कर्मचारियों के लिए है, इसीलिए डीओपीटी द्वारा जारी किया गया है। यदि श्रम मंत्रालय ने जारी किया होता तो सभी कर्मचारियों के लिए होता। उन्होंने भी इसके लागू होने पर संदेह प्रकट किया।
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