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दिल्ली: महंगे चालान के चंगुल से बचाना चाहती है केजरीवाल सरकार, विकल्पों पर विचार

दिल्ली की केजरीवाल सरकार 1 सितंबर से लागू हुए नए मोटर वाहन एक्ट से दिल्ली वालों को राहत दिलाने के लिए अलग अलग स्टेक होल्डर्स से चर्चा कर रही है. दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने खास बातचीत में कहा कि राज्य सरकार के दायरे में जो विकल्प हैं, उन पर विचार किया जा रहा है.

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अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

  • दिल्ली सरकार देना चाहती है नए मोटर वाहन एक्ट से राहत
  • फिलहाल केजरीवाल सरकार पूरे मामले को एग्जामिन कर रही है

दिल्ली की केजरीवाल सरकार 1 सितंबर से लागू हुए नए मोटर वाहन एक्ट से दिल्ली वालों को राहत दिलाने के लिए अलग अलग स्टेक होल्डर्स से चर्चा कर रही है. दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने 'आज तक' से खास बातचीत में कहा कि राज्य सरकार के दायरे में जो विकल्प हैं, उन पर विचार किया जा रहा है.

नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद चर्चा तेज है कि क्या दिल्ली में लोगों को चालान से राहत मिलेगी? क्या दिल्ली सरकार राहत देना चाहती है? जवाब देते हुए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने 'आज तक' से कहा, 'बिल्कुल सरकार राहत देना चाहती है लेकिन हम एग्जामिन कर रहे हैं कि राज्य को कहां-कहां पावर है. क्योंकि मोटर व्हीकल एक्ट का केंद्र सरकार ने संशोधन किया है. कुल 61 ऑफेंस हैं, जिनमें से 34 ऑफेंस ऐसे हैं जहां राज्य को कुछ-कुछ पावर है. फिलहाल हम पूरे मामले को एग्जामिन कर रहे हैं, जल्द दिल्ली सरकार निर्णय लेगी.'

आगे परिवहन मंत्री से पूछे जाने पर कि दिल्ली सरकार किस स्तर पर स्टडी कर रही है? दिल्ली वालों को कब तक राहत मिल सकती है? एक हफ्ता, 15 दिन, 20 दिन या एक महीना? क्या कोई टाइमलाइन तय की गई है? कैलाश गहलोत ने जवाब में कहा, 'फिलहाल कोई टाइम लाइन तय नहीं हुई है. तमाम स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा कर रहे हैं, बहुत जल्द इस पर निर्णय लिया जाएगा.'

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बता दें कि नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद 3 सितंबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बयान दिया, 'यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा अधिनियम पूरे देश में लागू हुआ है. कुछ ऑफेंस की कैटेगरी है, जिसमें हम कंपाउंडिंग फीस तय कर सकते हैं. अभी हम स्टडी कर रहे हैं कि अन्य राज्य इस अधिनियम को कैसे लागू नहीं करने के लिए कह रहे हैं.'

फिलहाल, दिल्ली सरकार ने राहत देने के लिए कोई टाइम लाइन फिक्स नहीं की है. ऐसे में सरकार की अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद ही, कोई नतीजा सामने आ सकता है.

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