BMC ने चलाया अवेयरनेस प्रोग्राम, मुंबई में जलभराव के लिए बताई ये वजह
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BMC ने चलाया अवेयरनेस प्रोग्राम, मुंबई में जलभराव के लिए बताई ये वजह

मुंबई मे बीते कुछ दिनों से एक बार बारिश ने फिर जोर पकड़ा है. लगातार बारिश होने से वाटर लॉगिंग बड़ी समस्या बन जाती है.

मुंबई के कुर्ला, पवई, घाटकोपर, मलाड, बांद्रा और सांताक्रूज और दूसरे इलाको में इस तरह के सामान गटर और नाले मे तैरते हुए नजर आए हैं.

मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई मे नाले-गटर की सफाई के दरम्यान बीएमसी को टेबल-कुर्सी के टुकड़े, बाम्बू, बड़े बॉक्स, चटाई, टायर, स्पंज, प्लास्टिक जैसी चीजें मिलीं. इन चीजों की वजह से कुछ जगह पर चोकअप (पानी निकासी मे समस्या) हो जाता है. जिससे पानी निकलने (निकासी) में दिक्कत होती है. वाटर लॉगिंग की समस्या होती है. बारिश में यह समस्या और बढ़ जाती है. आईए आपको बताते हैं कि कुछ लोगों के अपने सिविक सेंस खोने की वजह से कैसे दूसरे मुंबईकर उठा रहे हैं परेशानी, कब ऐसे लोग सुधरेंगे, आईए देखिए हमारी यह खास रिपोर्ट...

मुंबई मे बीते कुछ दिनों से एक बार बारिश ने फिर जोर पकड़ा है. लगातार बारिश होने से वाटर लॉगिंग बड़ी समस्या बन जाती है. पानी का निकास ठीक ढंग से न होने से पानी जमा हो जाता है और इसके लिए हम जिम्मेदार बीएमसी को ठहराते हैं. वहीं, इस बार बीएमसी को गटर और नाले की सफाई के दौरान चटाई, टायर, स्पंज जैसी चीजें मिली. कुछ लोगों के सिविक सेंस खो देने की वजह से दूसरे लोगों को परेशानी हो जाती है. बीएमसी का कहना है कि ऐसी चीजों को कहीं और डिस्पोज किया जाना चाहिए. लेकिन कुछ लोगों ने इसे नालों और गटर में डंप किया. ऐसे में choking (अवरुद्ध) होना लाज़मी है.

बीएमसी के अनुसार, इसी के कारण मुंबई में जलजमाव की स्थिति हो जाती है. मुंबई के कुर्ला, पवई, घाटकोपर, मलाड, बांद्रा और सांताक्रूज और दूसरे इलाको में इस तरह के सामान गटर और नाले मे तैरते हुए नजर आए हैं. 

 

बीएमसी ने इस बार कितना डिसिल्ट किया है
ये आंकड़े बीएमसी के मुंबई सबर्ब के मिठी नदी और मेजर नाले के डिसिल्टिंग किए गए 1 सितंबर तक के रिपोर्ट पर आधारित हैं. बीएमसी ने पिछले साल 2018 मे डिसिल्टिंग मानसून के पहले 60 प्रतिशत, मानसून के दरम्यान 20 प्रतिशत और बारिश के बाद 20 प्रतिशत डिसिल्टिंग किया था. इस बार 2019 में बीएमसी ने डिसिल्टिंग का अपना काम प्री मानसून 70 प्रतिशत और मानसून के दरम्यान 15 प्रतिशत और मानसून के बाद 15 प्रतिशत करने का तय किया है.

बीएमसी ने मानसून के दरम्यान 15 प्रतिशत डिसिल्टिंग यानी 52358 मैट्रिक टन डिसिल्टिंग में से 25616 मैट्रिक टन डिसिल्ट किया है. खास बात यह है कि इस डिसिल्टिंग मे बीएमसी ने लकड़ी के टेबल कुर्सी, चटाई ,टायर स्पंज और बड़े बॉक्सेस को पाया है. बीएमसी का कहना है कि कुछ लोग जो अपने सिविक सेंस खो देते हैं और दूसरे लोगो पर उंगली उठाते हैं, ऐसे लोगों को पहले अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. उसे निभाने के बाद इन्हें दूसरों को कुछ कहने का हक है. बीएमसी ने आह्वान किया कि ऐसे लोग अपनी जिम्मेदारियों को समझें और लापरवाही न बरतें. 

नाले और गटर में ऐसी चीज और सामान देखें तो आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए...

क्या करना चाहिए
टेबल-कुर्सी के टुकड़े, चटाई, टायर, स्पंज आदि नाला-गटर में डालते किसी व्यक्ति को देखें, तो उसे मना करें. उस व्यक्ति के ना मानने पर बीएमसी में उसकी शिकायत करें. बीएमसी के अवेयरनेस प्रोग्राम में भाग लेना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए
अनावश्यक सामान को नाले और गटर में नहीं डालना चाहिए. लोग ऐसा नहीं करेंगे, तो इससे बीएमसी को सफाई के लिए एक्स्ट्रा स्टाफ की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. गौरतलब है कि कुछ ही दिनों पहले महाराष्ट्र के सातारा, सांगली, कोल्हापुर में बाढ़ की वजह से हालात खराब हुए थे. इस समय मुंबई में भी लगातार बारिश हो रही है. ऐसे में लोग अपने सिविक सेंस के मामले में जागरूक होंगे, तो दूसरे मुंबईकरों की परेशानी बारिश के समय नहीं बढ़ेगी.

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