इंजीनियर जिसने सिखाई बड़ी-बड़ी हस्तियों को हिंदी, ये सेलिब्रिटी भी रह चुके हैं स्टूडेंट
पल्लवी की विद्यार्थियों की सूची में जाने-माने लेखक विलियम डेलरिम्पल अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस लीजा रे नटालिया डि लुसिओ और लुसिंडा निकोलस शामिल हैं।
नई दिल्ली[सुधीर कुमार पांडेय]। भाषा महज संवाद का जरिया नहीं है। यह संस्कृति से जुड़ी होती है, परंपरा से जुड़ी होती है। भाषा के साथ देश की संस्कृति, रीतिरिवाज और परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं पल्लवी। वह विदेशियों को हिंदी सिखाती हैं।
दूतावासों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में भारत में काम करने आए विदेशियों को बोल-चाल और भाषा के जरिये हिंदुस्तानी सामाज व रहन-सहन के बारे में भी जानकारी देती हैं।
कैफे, दूतावास, दफ्तर में भी लगती है क्लास
कैफे, दूतावास, दफ्तर, जहां सहूलियत होती है वहां उनकी कक्षा लग जाती है। उन्होंने आइपी यूनीवर्सिटी से बीटेक किया, लेकिन इंजीनियरिंग की चमकदार दुनिया में रहना उन्हें गंवारा नहीं था। वह अपने देश के लिए, अपनी मातृभाषा के लिए काम करना चाहती थीं। उन्हें यह अवसर मिला भी। गाजियाबाद निवासी पल्लवी की विद्यार्थियों की सूची में जाने-माने लेखक विलियम डेलरिम्पल, अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस, लीजा रे, नटालिया डि लुसिओ और लुसिंडा निकोलस शामिल हैं।
चाय-पानी का मतलब टी और वाटर नहीं
पल्लवी कहती हैं कि मैं आइपी यूनिवर्सिटी से बीटेक तो कर रही थी, लेकिन मुझे संतुष्टि नहीं मिल रही थी। मैं खोज में थी और यह खोज हिंदी पर आकर समाप्त हुई। डीयू से जब फ्रेंच में डिप्लोमा कर रही थी तो विदेशी छात्रों से बात करती थी, उनसे जुडऩा शुरू किया। वे मुझसे पूछते की चाय पानी को अग्रेजी में क्या कहते हैं। उन्हें नहीं पता था कि इसका मतलब टी और वाटर नहीं बल्कि कुछ और है।
कई लोगों के आते हैं फोन, मेरे बच्चों को हिंदी सिखा दो- पल्लवी
पल्लवी ने बताया कि लोगों को शुरुआत में हिंदी सीखने में वैसी ही दिक्कत होती है जैसे कि हमें अन्य भाषा सीखने में। जो अपनी भाषा छोड़ देते हैं, वे अपनी संस्कृति छोड़ देते हैं। पल्लवी कहती हैं कि मेरे पास ऐसे लोगों के भी फोन आते हैं जो जो कहते हैं कि मेरे बच्चों को हिंदी सिखा दो। मुझे यह सुनकर बड़ा अजीब लगता है कि अपने ही देश के लोगो को हिंदी नहीं आती है। वे घर में भी हिंदी में बातचीत नहीं करते हैं।
ये भी पढ़ेंः डेंगू के खिलाफ अभियान में केजरीवाल को मिला पूर्व क्रिकेटर कपिल देव का साथ, कही ये बात
ऐसी स्थिति हिंदी के साथ ज्यादा है। आप कनाडा में जाइए, वहां आपको पंजाबी सुनने को मिलेगी। ऐसा नहीं होना चाहिए। जो अपनी भाषा छोड़ देते हैं, वे अपनी संस्कृति भी छोड़ देते हैं। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए।