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देश के 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा, जानें- ग्राहकों पर क्या होगा असर

विलय की कवायद से बैंक मजबूत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेंगे ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। उद्योग जगत को आसानी से कर्ज मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 09:09 PM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 07:16 AM (IST)
देश के 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा, जानें- ग्राहकों पर क्या होगा असर
देश के 10 सरकारी बैंकों के विलय की घोषणा, जानें- ग्राहकों पर क्या होगा असर

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ाने और पांच ट्रिलियन डालर की इकोनॉमी बनने की तरफ एक और बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने दस सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का ऐलान किया। केंद्र के इस कदम के बाद सरकारी बैंक घटकर 12 रह जाएंगे जबकि 2017 में इनकी संख्या 27 थी। इसके अलावा सरकारी बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाने को उन्हें भारी भरकम मदद भी दी जाएगी।

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इकोनॉमी को रफ्तार देने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय की कवायद में यह दूसरा कदम है। इससे पहले बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एफपीआइ पर सरचार्ज से लेकर बैंकिंग सेक्टर में सस्ते कर्ज की स्थिति बनाने संबंधी उपायों की घोषणा की थी। वित्त मंत्री के मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर के लिए शहरी विकास मंत्रालय पैकेज पर काम कर रहा है जिसका ऐलान आने वाले दिनों में होगा।

विलय का रोडमैप तैयार

सरकार ने पब्लिक सेक्टर बैंकों के विलय का जो रोडमैप घोषित किया है उसमें चार विलय होंगे। पहला विलय, पंजाब नेशनल बैंक में दो बैंकों- ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को मिलाकर किया जाएगा जबकि दूसरा विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक को मिलाकर होगा। तीसरे विलय प्रस्ताव के तहत केनरा बैंक में सिंडीकेट बैंक को मिलाया जाएगा जबकि चौथे विलय में इंडियन बैंक के साथ इलाहबाद बैंक को मिलाया जाएगा।

विलय में शामिल दस बैंकों का बिजनेस

केंद्र की यह घोषणा कितनी अहम है इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि विलय में शामिल दस बैंकों का बिजनेस देश के व्यवसायिक बैंकों के कुल बिजनेस का 56 प्रतिशत और सरकारी बैंकों के कुल बिजनेस का 82 प्रतिशत है। विलय के बाद पीएनबी, ओबीसी और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया तीनों का कुल कारोबार 17.94 लाख करोड़ रुपये होगा और यह कारोबार के मामले में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक के बाद दूसरे स्थान पर होगा।

विलय होने के बाद पीएनबी

दोनों बैंकों के पीएनबी में विलय होने के बाद पीएनबी की 11,437 बैंक शाखाएं और एक लाख से अधिक कर्मचारी होंगे। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि विलय की प्रक्रिया में कर्मचारियों की छंटनी नहीं होगी। इसी तरह सिंडीकेट बैंक के साथ विलय के बाद केनरा बैंक का कारोबार 15.20 लाख करोड़ रुपये होगा और यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक होगा। इसकी 10,342 शाखाएं और 89,885 कर्मचारी होंगे।

यूनियन बैंक का कारोबार

आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक के मिलने पर यूनियन बैंक का कारोबार बढ़कर 14.59 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा और यह देश का पांचवा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। यूनियन बैंक की 9609 घरेलू शाखाएं और 75,384 कर्मचारी होंगे। ऐसे ही इंडियन बैंक को मिलाने के बाद इलाहबाद बैंक का कारोबार बढ़कर 8.07 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा और यह देश का सातवां बड़ा बैंक बन जाएगा। इसकी 6,104 घरेलू शाखाएं होंगी और इसमें 42,814 कर्मचारी होंगे। विलय की प्रक्रिया कब पूरी होगी इस बारे में बैंकों के बोर्ड ही निर्णय करेंगे।

ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी

विलय की इस कवायद से बैंक मजबूत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेंगे, ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और पूंजी आधार मजबूत होने पर उद्योग जगत को आसानी से कर्ज मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे पूर्व बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विजया बैंक और देना बैंक का विलय हो चुका है। वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और उसके सहयोगी बैंकों को मिलाया जा चुका है।

वित्त मंत्री ने एक और अहम घोषणा करते हुए दस सरकारी बैंकों को 55,250 करोड़ रुपये पूंजी मुहैया कराने का ऐलान भी किया। इसके तहत पीएनबी को सबसे ज्यादा 16000 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11,700 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा को 7,000 करोड़ रुपये, केनरा बैंक को 6500 करोड़ रुपये और इंडियन बैंक को 2500 करोड़ रुपये पूंजी मुहैया करायी जाएगी।

इंडियन ओवरसीज बैंक को 38,00 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 33,00 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 2100 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1600 करोड़ रुपये और पंजाब एंड सिंध बैंक को 750 करोड़ रुपये देने का इरादा जाहिर किया है। हालांकि वित्त मंत्री का कहना है बैंकों को दी जाने वाली मदद का आंकड़ा घट-बढ़ भी सकता है।

सीतारमण ने बताया कि बीते सप्ताह घोषित उपायों के असर दिखने शुरु हो गये हैं। मसलन, आठ सरकारी बैंकों ने रिजर्व बैंक के रेपो रेट से लिंक होम और ऑटो लोन शुरु कर दिये हैं। इसी तरह एनबीएफसी को संकट से उबारने के लिए चार एनबीएफसी और बैंक के बीच करार हो चुका है। इसी तरह एनबीएफसी को 3300 करोड़ रुपये की आंशिक क्रेडिट गारंटी सहायता मंजूर की जा चुकी है जबकि 30000 करोड़ रुपये की सहायता जल्द ही मंजूर की जाएगी।

विलय के बाद देश में होंगे सार्वजनिक क्षेत्र के ये 12 बैंक

रैंक  बैंक कारोबार (लाख करोड़ रु)

1. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 52.05

2. पंजाब नेशनल बैंक 17.94

3. बैंक ऑफ बड़ौदा 16.13

4. केनरा बैंक 15.20

5. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 14.59

6. बैंक ऑफ इंडिया 9.03

7. इंडियन बैंक 8.08

8. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 4.68

9. इंडियन ओवरसीज बैंक 3.75

10. यूको बैंक 3.17

11. बैंक ऑफ महाराष्ट्र 2.34

12. पंजाब एंड सिंध बैंक 1.71


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