बिहार विधानसभा में गुरुवार को जातीय जनगणना का प्रस्ताव पारित हो गया। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का तीन दिन में दूसरा मास्टरस्ट्रोक है। इससे पहले बीते मंगलवार को बजट सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में एनआरसी नहीं लागू करने और एनपीआर 2010 के प्रारूप अनुसार करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। वह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया था। और इसी के साथ बिहार पहला एनडीए शासित राज्य बना, जहां एनआरसी के खिलाफ प्रस्वात पारित हुआ। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि एनआरसी और जातीय जनगणना के सहारे नीतीश कुमार ने...
के सहारे पिछड़े, अतिपिछड़े, दलितों और महादलितों को। लालू प्रसाद यादव जातीय जनगणना को लेकर कई बार सवाल उठा चुके हैं। वहीं नीतीश कुमार भी कई मौको पर यह बात कह चुके हैं कि जातीय आधारित जनगणना की जरूरत महसूस हो रही है। केंद्र सरकार द्वारा सीएए कानून पारित किए जाने के बाद अल्पसंख्यकों के बीच बिहार में विपक्षी पार्टियां एनआरसी का भय दिखा सरकार पर निशाना साध रही थी। नीतीश कुमार ने इस राजनीतिक मुद्दे पर भी विराम लगा दिया। राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि इस साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में...
सेकुलर हैं! पूरा देश दिल्ली हिंसा पर स्तब्ध है। ये फिर कैसे बने मुख्यमंत्री के शूत्र खोज रहें हैं! दिल्ली हिंसा से .... अब जात-जात हो जाए। हे भष्मासुर! कितना बांटोगे हम गरीब जनता को! सत्ता के लिए!हम साथ रहना चहेते हैं,प्यार से।मत बांटो हमें।
सेकुलर हैं! पूरा देश दिल्ली हिंसा पर स्तब्ध है। ये फिर कैसे बने मुख्यमंत्री के शूत्र खोज रहें हैं! दिल्ली हिंसा से .... अब जात-जात हो जाए जय भष्मासुर!
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