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वृक्षारोपण अभियान: आगरा में यमुना किनारे रोपाई पर उठे सवाल

हाथी घाट के पास आगरा महल के करीब नदी किनारे करीब 35 हजार पौधों की रोपाई की गई थी लेकिन हाल ही में आई बाढ़ में यह बह गए और अब इस संबंध में कई प्रश्न खड़े हो गए हैं.

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वृक्षारोपण अभियान (फोटो-प्रतीकात्मक तस्वीर)
वृक्षारोपण अभियान (फोटो-प्रतीकात्मक तस्वीर)

ताजमहल के शहर आगरा में यमुना नदी के किनारे हजारों पौधों की रोपाई की गई थी, लेकिन हाल ही में आई बाढ़ में यह बह गए और अब इस संबंध में कई प्रश्न खड़े हो गए हैं. कुछ लोग इस वृक्षारोपण अभियान पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं दूसरों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर भ्रष्टाचार की बात कही है.

हाथी घाट के पास आगरा महल के करीब नदी किनारे करीब 35 हजार पौधों की रोपाई की गई, लेकिन यह सभी जल स्तर बढ़ने के साथ बह गए. कॉरपोरेशन के एक अधिकारी के अनुसार, इन पौधों की रोपाई के लिए 10 लाख रुपये खर्च किए गए थे. आगरा के महापौर और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने नौ अगस्त को एक दिन में 22 करोड़ पौधारोपण की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी परियोजना के अंर्तगत बड़े धूमधाम से इन पौधों की रोपाई की गई थी.

स्थानीय कार्यकर्ताओं ने पौधारोपण के तरीके और स्थान को लेकर आपत्ति जताई थी. इसके संदर्भ में आरटीआई दाखिल करने की सोच रहे पर्यावरणविद् श्रवण कुमार सिंह ने कहा कि लगाए गए पौधे बह गए हैं, इसे लेकर पार्षद समेत कोई भी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं है.

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सोशल मीडिया पर भी मामला उठाया जा रहा है. समाजिक कार्यकर्ता निधि पाठक ने फेसबुक पर कहा, 'फालतू के काम करेंगे तो नुकसान होगा ही.' दूसरे समाजिक कार्यकर्ता अश्विनी पालीवाल ने कहा, 'उन लोगों ने सिर्फ 3800 पौधे लगाएं होंगे, लेकिन पेमेंट 38000 का लेंगे.' कुछ सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर करने की बात कह रहे हैं.

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