Move to Jagran APP

आर्थिक मंदी के दौर में नगद रखने और गोल्‍ड में निवेश से बचें, यहां लगाएं पैसा...

आर्थिक मंदी के दौर में नगद रखने और सोने में निवेश करने से बचना चाहिए। वरिष्‍ठ अर्थशास्‍त्री भरत झुनझुनवाला बता रहे हैं निवेश के खास तरीके जहां मंदी के दौर में पैसा लगाया जा सकता है

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 01:56 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 05:35 PM (IST)
आर्थिक मंदी के दौर में नगद रखने और गोल्‍ड में निवेश से बचें, यहां लगाएं पैसा...
आर्थिक मंदी के दौर में नगद रखने और गोल्‍ड में निवेश से बचें, यहां लगाएं पैसा...

भरत झुनझुनवाला [जागरण स्‍पेशल]। आर्थिक मंदी के समय माना जाता है कि लोग अपनी नकदी अपने पास रखें, लेकिन अगर ऐसे समय में निवेश की जरूरत हो तो सबसे उपयुक्त माध्यम में बहुत ठोंक बजाकर निवेश की दरकार होती है। दी के समय प्रॉपर्टी में निवेश करने से बचना चाहिए क्योंकि खरीददार के पास प्रॉपर्टी खरीदने के लिए रकम उपलब्ध नहीं होती। अत: प्रॉपर्टी के दामों के कम बने रहने की संभावना रहती है। इसके अतिरिक्त वर्तमान सरकार ने काले धन पर शिकंजा कसने की कोशिश की है। प्रॉपर्टी मॉर्केट काले धन से ही दौड़ता था इसलिए भी इसके मंद बने रहने की संभावना है।

loksabha election banner

मंदी के दौर में नगद रखने से बचें
आर्थिक मंदी के दौर में नगद रखने से बचना चाहिए। इसके दो कारण हैं। पहला यह कि नगद का संग्रह खतरनाक है। दूसरा यह कि मुद्रा का अवमूल्यन निरंतर होता रहता है, जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ती जाती है। जैसे दस साल पहले यदि आप 100 रुपये में पांच किग्रा आम खरीदते थे तो वर्तमान में आप केवल एक किग्रा खरीद पा रहे हैं। तीसरी संभावना सोना खरीदकर रखने की है। वैश्विक मंदी के चलते यहां पर परिस्थिति कुछ अनिश्चित है। यह दिख रहा है कि वैश्विक मंदी आने वाली है लेकिन मंदी संकट का रूप लेगी अथवा नहीं लेगी इसके बारे में अनिश्चितता है।

सोने में भी निवेश करना उचित नहीं
यदि वैश्विक संकट उत्पन्न होता है तो निवेशकों कि चाल सोने में निवेश करने में बनेगी और उस हालत में सोने के दाम में वृद्धि हो सकती है। लेकिन यदि सामान्य मंदी रहती है और संकट नहीं आता है तो सोने का दाम भी कम रहेगा। चूंकि संकट का आना और न आना, यह कह पाना कठिन है इसलिए वर्तमान समय में सोने में भी निवेश करना उचित नहीं दिखता है। निवेश का चौथा माध्यम शेयर बाजार है। हम देख रहे हैं कि पिछले पांच वर्षों में हमारी आर्थिक विकास दर सपाट है लेकिन शेयर बाजार में उछाल आ रहा है। कारण है कि छोटे उद्यमियों का धंधा बड़े उद्यमियों के हाथ में स्थानांतरित हो रहा है।

आयात आधारित कंपनियों में निवेश उचित
हम यह भी देख रहे हैं कि हमारे निर्यात दबाव में हैं जबकि आयात उछल रहे हैं। अत: बड़ी और आयात आधारित कंपनियों में निवेश करना उचित दिखता है। चूंकि सरकार की पॉलिसी के अनुसार बड़ी कंपनियों को बचाया जा रहा है और आयातों को छूट दी जा रही है इसलिए इनकी स्थिति में सुधार आते रहने की संभावना है। छोटी कंपनियां और निर्यात आधारित कंपनियों में संकट आने की संभावना बनती है अत: शेयर बाजार में हमें चुन कर निवेश करना चाहिए।

सोच समझकर करें म्यूचुअल फंडों में निवेश
निवेश का एक स्थान म्यूचुअल फंड है। म्यूचुअल फंडों द्वारा दो प्रकार की योजनायें बनाई जाती हैं। एक में इक्विटी या शेयर खरीदे जाते हैं जबकि दूसरे में नगद इंस्ट्रूमेंट जैसे सरकारी बांड खरीदे जाते हैं। इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंडों में निवेश करना उतना ही संकट में है जितना कि आपके द्वारा सीधे शेयर में निवेश करना, लेकिन म्यूचुअल फंडों के पास शेयर बाजार की जानकारी अधिक होती है इसलिए उनके माध्यम से शेयर में निवेश करना सामान्य निवेशक के लिए सुविधाजनक हो सकता है। हालांकि, म्यूचुअल फंडों में भ्रष्टाचार आदि की भी समस्या रहती है इसलिए यह डावांडोल स्थिति है।

फिक्स डिपॉजिट में कम ब्‍याज
निवेश का आखिरी स्थान बैंक का फिक्स डिपॉजिट है। बैंकों द्वारा फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज दर आजकल कम दी जा रही है। लगभग पांच से सात प्रतिशत म्यूचुअल फंड में तरल योजनाओं और बैंकों के फिक्स डिपॉजिट में सुरक्षा तो बराबर है लेकिन बैंकों के फिक्स डिपॉजिट में आपको ब्याज कम मिलता है इसलिए दोनों में मेरी पसंद म्यूचुअल फंड के लिक्विड अथवा तरल योजनाओं की होगी।

इन इक्विटी योजनाओं में कर सकते हैं निवेश
निवेशक अपने विवेक से उन इक्विटी योजनाओं में निवेश कर सकते हैं जो बड़ी और आयात आधारित कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं। म्यूचुअल फंडों द्वारा दूसरी तरल योजनाएं होती हैं जिसमें वे शेयर बाजार में निवेश करने की रिस्क नहीं उठाते हैं बल्कि वे ऐसे स्थानों पर निवेश करते हैं जो सुरक्षित हो जैसे भारत सरकार के बांड या प्रतिदिन बैंकों द्वारा लिए जाने वाले कर्ज इत्यादि में। इन्हें लिक्विड या तरल योजना कहा जाता है। मंदी के समय इनमें निवेश करना उचित दिखता है। यद्यपि इनमें लाभांश कम होता है। मेरे अनुमान से 6 से 10 प्रतिशत के बीच में इनमें लाभांश मिल जाता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.