कश्मीर घाटी में बच्चों के स्कूल जाने के लिए पुलिया निर्माण से लेकर गुजरात में बाढ़ की चेतावनी प्रणाली तक, जिससे जान-माल का नुकसान थमा, छत्तीसगढ़ में जिला अस्पतालों के उन्नयन से लेकर हिमाचल का एक गांव जहां कूड़े के ढेर अब नया पार्क बन गया है- बुधवार की शाम एक्सप्रेस एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवॉर्ड्स में जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा रचित इस तरह के बदलाव का जश्न मनाया गया। इस द्विवार्षिक आयोजन में देश के डीएम के सर्वोत्कृष्ट कार्यों को सम्मानित किया जाता है। अवॉर्ड्स समारोह में शामिल हुए केंद्रीय सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ‘कामकाज का लेखा-जोखा’ भले ही जरूरी हो, एक ‘अच्छा अधिकारी चमत्कार कर सकता है।’ गडकरी के अलावा इस आयोजन में विशेष अतिथि थे खाद्य एवं जन वितरण मंत्री राम विलास पासवान, केंद्रीय विधि, संचार एवं सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रधानमंत्री कार्यालय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह और केंद्रीय रेलवे, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल।

कृषि से लेकर शिक्षा एवं तकनीक से लेकर महिला विकास तक 16 श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए। 24 राज्यों के 84 जिलों से मिलीं 249 प्रविष्टियों में से विजेताओं को चुना गया। गडकरी ने कहा, ‘सुशासन एवं विकास सरकार के दो महत्त्वपूर्ण एजंडा होते हैं… और जहां तक सुशासन का सवाल है, जिला कलेक्टर की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। पुरस्कार से हमारे प्रशासन की रीढ़ जिला मजिस्ट्रेटों को अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलेगी। इससे नया भारत बनेगा, जो हमारे प्रधानमंत्री का सपना है। प्रशासक के लिए सकारात्मक रवैया, लीक से हट कर सोच, त्वरित निर्णय प्रक्रिया और टीम वर्क की जरूरत होती है। और अगर एक अधिकारी अपने प्रदर्शन के लेखा-जोखा के आधार पर बेहतर है, तो वह चमत्कार कर सकता है… सामाजिक चेतना, टीम वर्क और तुरंत निर्णय लेना जरूरी होता है।’

पासवान ने इन पुरस्कारों को ‘बेहतर कार्य करने के लिए प्रशासकों के लिए एक प्रेरणा’ बताया। पासवान ने कहा, ‘एक जिला मजिस्ट्रेट… उन इलाकों में जाता है जहां सबसे गरीब रहते हैं और उनकी समस्याएं दूर करता है। कोई भी सामाजिक परिवर्तन दिल और दिमाग के तालमेल से साकार होता है। मंत्री नीतियां बनाते हैं और सुझाव देते हैं लेकिन वे डीएम ही होते हैं जो उन्हें लागू करते हैं। वहां कार्य, तथ्य और चातुर्य होता है। किस तरह चातुर्यपूर्वक नीतियां लागू हों वह डीएम का काम होता है।’

प्रसाद ने कहा कि ‘सुशासन और नतीजे देने के केंद्र बिंदु’ बन गए हैं डीएम। उन्होंने कहा, ‘परंपरानुसार, भारत के राजनीतिक प्रशासनिक ढांचे में, चार पद बेहद महत्त्वपूर्ण है- प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, डीएम और इंस्पेक्टर। वे सत्ता ढांचे के प्रतीक होते हैं। लेकिन अब डीएम अपने नए अवतार में हैं, वे सुशासन और नतीजे देने के प्रमुख केंद्र बन गए हैं। पांच साल में प्रधानमंत्री की अगुआई में नतीजे देना, नियमों और अफसरशाही में अहम होता गया है। जरूरी यह है कि काम करने की सही स्थितियां पैदा की जाएं।’

जितेंद्र सिंह ने कहा कि वे कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘एक्सप्रेस ने वही काम किया है जो हम करते। हमारे पास भी पुरस्कार देने का इंतजाम है लेकिन आपने जिन अपने तरीकों से मूल्यांकन किया है उन्हें ज्यादा निष्पक्षता एवं ज्यादा विश्वसनीयता से देखा जाएगा।’
इस मौके पर द एक्सप्रेस समूह के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक विवेक गोयनका ने कहा कि ‘यह आयोजन तीन साल पहले के एक विचार का प्रतिफल है।’

उन्होंने कहा, ‘सवाल था : हमारे आसपास हो रहे व्यापक बदलाव के प्रति न्याय करने में एक्सप्रेस की जिम्मेदारी क्या है? बेशक, एक रास्ता है कि ज्यादा से ज्यादा खोजी खबरों और व्याख्यात्मक पत्रकारिता कर न्यूजरूम का पैमाना ऊंचा रखा जाए। लेकिन न्यूजरूम के इतर हमारी क्या जिम्मेदारी है? क्या हम उन लोगों को सुनकर बदलावों को अभिलेखित करने का रास्ता निकाल सकते हैं, जो इनकी पटकथा लिख रहे हैं? वैसे युवा भारतीय जो अपने काम में यथार्थवादी आदर्शवाद ले आए और कुटिलता एवं निराशा को जगह देने से इनकार किया। और उत्तर था द्विवार्षिक इंडियन एक्सप्रेस एक्सीलेंस इन गवर्नेंस अवॉर्ड्स।’
गोयनका ने कहा, ‘क्योंकि शासन के प्रथम महत्त्वपूर्ण सैनिक होते हैं डीएम। क्योंकि वे स्त्री और पुरुष, जो बढ़ते बाजार में लाभप्रद मौका हासिल करने के लिए अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन उन्होंने स्वाधीनता, शासन और विकास के फायदों को सबसे वंचित साथी नागरिकों तक पहुंचाने का विकल्प चुना। क्योंकि जिला हमारे प्रशासन का आधार इकाई होता है। यह वह जगह है जहां आइएएस यह सीखता है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक-एक अक्षर का मतलब क्या है।’

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अगुआई वाले एक प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल ने विजेताओं को चुना है। निर्णायक मंडल के अन्य सदस्य हैं- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं भारत के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला, अमेरिका एवं चीन में भारत की पूर्व राजदूत एवं 2009 से 2011 तक भारत की विदेश सचिव रह चुकीं निरूपमा राव और पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर। केपीएमजी इन अवार्ड्स का नॉलेज पार्टनर है। उसने नवोन्मेष, प्रभाव, कार्यान्वयन और जन भागीदारी के मापदंडों पर सभी प्रविष्टियों को परखा। चुनी गईं प्रविष्टियों का द इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाताओं एवं संपादकों ने जमीनी दौरे कर उनका परीक्षण एवं सत्यापन किया। उसके बाद निर्णायक मंडल ने विजेताओं को चुना।

देश में जिला स्तर पर शासन की चुनौतियों के सबसे मौलिक समाधान के लिए ये द्विवार्षिक पुरस्कार दिए जाते हैं, शासन में उत्कृष्टता के मानकों- विचार, अमल एवं नवोन्मेष के व्यापक क्षेत्र को समेटते हैं। ये श्रेणियां हैं : कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, केंद्रीय योजनाओं को लागू करना, तकनीक, महिला विकास, बाल विकास, समेकित नवोन्मेष, कौशल विकास, उद्यम और ऊर्जा।

निर्णायक मंडल के अध्यक्ष जस्टिस लोढ़ा ने कहा, ‘डीएम के महान कार्यों की पहचान निर्णायक मंडल के लिए प्रसन्नता की बात रही। निर्णायक मंडल ने पांच कसौटियों पर परियोजनाओं को परखा और मूल्यांकन किया : विचार, नवोन्मेष, प्रभाव, कार्यान्वयन एवं सुधार। केपीएमजी की जानकारियों से हम लाभान्वित हुए। इन परियोजनाओं की कठिन जमीनी जांच की गई… आज हमें ऐसे डीएम की जरूरत है जो लीक से हटकर सोचते हैं और कठिन समस्याओं का पुख्ता हल लेकर आते हैं। यह सटीक समय है जब सरकार विकेंद्रीकृत है और कलेक्टरों के दफ्तर काम के केंद्र बिंदु बने हुए हैं।’ अनंत गोयनका ने हर विशेष अतिथि को सम्मानित किया।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए, नेक्स्ट जेन इनफाइनाइट डेटासेंटर के एमडी और सीईओ एएस राज गोपाल ने कहा, ‘इस विचार के साथ जुड़ना बड़े सम्मान की बात है। लोक सेवा से हमारे आसपास की दुनिया बेहतर हुई है… असली इनाम पुरस्कार नहीं बल्कि स्वयं को परिपूर्ण और संवर्द्धित होने का अहसास है।’
नेक्स्टजेन इनफाइनाइट डेटासेंटर के द्वारा अवार्ड्स प्रायोजित किए गए। अन्य प्रायोजक थे : आइसीआइसीआइ बैंक, रुनवाल, आइसीएफएआइ, यशोदा, वोक्सवैगन और मध्य प्रदेश सरकार। सहयोगी भागीदार रहे : केसरी टूअर्स, डेटॉक्स इंडिया, नमामी गंगे, नाल्को, इंडियन आॅयल, एमआइडीसी, जॉय ई-बाइक, भारत पेट्रोलियम और पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड।

शुरुआत में पुरस्कार विजेताओं और अतिथियों का स्वागत करते हुए द इंडियन एक्सप्रेस के चीफ एडिटर राज कमल झा ने कहा, ‘हम सफलता की ये कहानियां लेकर आए हैं, क्योंकि द इंडियन एक्सप्रेस में, अगर पत्रकारिता अंधेरी जगहों को रोशन करने के बारे में है तो यह उन चीजों पर भी झांकने को लेकर है जो खुद से चमकती हैं- और रास्ता दिखाती हैं। हमारे लिए, राष्ट्रीय संवाद को बनाए रखने का मतलब उन आवाजों की तलाश में बाहर निकलना है जो हमारी बात के शोर में शायद न सुनी जा सकें।’

ये है विजेताओं की लिस्ट