इमरान ख़ान: भारत से अब बातचीत का कोई मतलब नहीं

इमरान ख़ान

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बुधवार को कहा कि कश्मीर पर भारत से अब बातचीत का कोई मतलब नहीं है.

इमरान ख़ान ने कश्मीर पर दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच सैन्य टकराव का भी ख़तरा बताया है. न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने कहा कि उन्होंने नरेंद्र मोदी से बातचीत के लिए कई बार कोशिश की लेकिन उन्होंने हर बार इनकार किया.

पीएम इमरान ख़ान ने अपने इंटरव्यू में कहा है, ''अब बात करने का कोई मतलब ही नहीं है. मैंने बातचीत की बहुत कोशिश की. दुर्भाग्य से मैं जब इन कोशिशों को पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि उन्होंने इसे मान-मनौव्वल की तरह लिया. मैं इससे ज़्यादा अब कुछ नहीं कर सकता.''

इमरान ख़ान भारत प्रशासित कश्मीर की स्वायत्तता ख़त्म करने को लेकर भारत की हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार को लगातार निशाने पर ले रहे हैं. जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता ख़त्म करने के बाद से भारत ने घाटी में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रखी है.

पाकिस्तान इस मामले को संयुक्त राष्ट्र तक लेकर गया और भारत के भीतर भी विपक्ष भी मोदी सरकार के फ़ैसले की आलोचना कर रहा है.

भारत सरकार का कहना है कि कश्मीर में धीरे-धीरे सामान्य स्थिति बाहाल हो जाएगी. इमरान ख़ान के इस इंटरव्यू पर न्यूयॉर्क टाइम्स से संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने कहा कि इमरान ख़ान के सारे आरोप बेबुनियाद हैं.

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हर्षवर्द्धन ने कहा, ''हम लोगों का पुराना अनुभव है कि जब भी हम बातचीत की टेबल पर जाते हैं तो उसका नतीजा बहुत बुरा हुआ है. हम पाकिस्तान से उम्मीद करते हैं कि वो आतंकवाद पर ठोस और भरोसेमंद और निर्णायक कार्रवाई करे. कश्मीर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो जाएंगे लेकिन यह ज़मीनी हालात पर निर्भर करता है.''

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भारतीय राजदूत ने कहा ने कहा कि ज़रूरी सेवाएं बहाल कर दी गई हैं. उन्होंने कहा कि बैंक और हॉस्पिटल की सेवाएं बहाल कर दी गई हैं. हर्षवर्धन ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि संचार व्यवस्था सुरक्षा को देखते हुए पूरी तरह से बहाल नहीं की गई है.

कश्मीर के ज़्यादातर नेता अब भी नज़रबंद हैं. प्रधानमंत्री इमरान ख़ान मोदी सरकार की तुलना नाज़ी जर्मनी से कर रहे हैं. पीएम ख़ान ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार कश्मीर में जनसंहार करवा सकती है.

इमरान ख़ान पूरे मामले में भारत के मुसलमानों को लेकर भी टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत की मोदी सरकार मुसलमानों के साथ भेदभाव कर रही है.

भारत का कहना है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और इसे लेकर बात भी होगी तो केवल द्विपक्षीय बात होगी न कि इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल होगा.

वहीं पाकिस्तान इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा रहा है. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं. भारत ने कश्मीर की स्वायत्तता ख़त्म करने को अपना आंतरिक मामला बताया है और वहां सुरक्षा बलों की तैनाती ऐहतियात के तौर पर किया गया बताया है. इसे लेकर पाकिस्तानी मीडिया में पीएम मोदी का फासीवादी कहा जा रहा है.

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इमरान ख़ान ने इंटरव्यू में कहा है, ''सबसे अहम बात यह है कि 80 लाख लोगों पर ख़तरा मंडरा रहा है. हम लोगों को डर है कि यहां जनसंहार कराया जा सकता है और धर्म के आधार पर हत्याएं हो सकती हैं.'' हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि कश्मीर में हालात विस्फोटक हैं.

पिछले महीने इमरान ख़ान अमरीका के दौरे पर गए थे और ट्रंप ने कहा था कि पाकिस्तान की सुरक्षा मदद में कटौती के बाद से पाकिस्तान से रिश्ते अच्छे हो गए हैं. दोनों नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनबीसी के एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा था कि वो कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं.

इमरान ख़ान ने ये आशंका भी जताई है कि भारत कश्मीर में कोई बड़ा सैन्य कार्रवाई कर सकता है. उन्होंने कहा, ''भारत ऐसा करके पाकिस्तान में भी कार्रवाई को उचित ठहरा सकता है. इसके बाद हम भी जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर होंगे. आप इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं कि दो परमाणु शक्ति संपन्न देश आँख में आँख मिलाकर देखेंगे तो क्या होगा. इससे पूरी दुनिया को सतर्क होने की ज़रूरत है.''

भारत की अब तक की नीति रही है कि वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल पहले नहीं करेगा. लेकिन पिछले शुक्रवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति पर कायम है लेकिन भविष्य में क्या होगा यह उस वक़्त के हालात पर निर्भर करेगा.

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