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classical singer Triloki prasad talk about music composer Mohammed Zahur Khayyam Hashmi
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लंबी बीमारी के बाद खय्याम का निधन, शास्त्रीय गायक त्रिलोकी प्रसाद ने ऐसे किया याद
एंटरटेनमेंट डेस्क अमर उजाला
Published by: Avinash Pal
Updated Tue, 20 Aug 2019 01:05 AM IST
खय्याम और त्रिलोकी प्रसाद
- फोटो : सोशल मीडिया
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'उमराव जान', 'बाज़ार', 'कभी-कभी', 'नूरी', 'त्रिशूल' जैसी हिट फिल्मों के गीतों की धुन बनाने वाले मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। खय्याम के निधन से पूरे हिंदी सिनेमा में शोक की लहर है। ऐसे में शास्त्रीय गायक त्रिलोकी प्रसाद ने भी शोक जाहिर किया।
त्रिलोकी प्रसाद ने खय्याम को याद कहते हुए कहा- 'एक ऐसे सुरीले कंपोजर जिनकी खासियत थी कि अगर एक गाने में तीन अंतरे हैं तो वो तीन अंतरे को अलग से कंपोज करते थे। इसके साथ ही खय्याम काफी शायराना अंदाज में लिखते थे। वो किसी भी कंपोजिशन को हल्केपन से नहीं लिखते थे। खय्याम साहब एक ऐसे संगीतकार थे कि चेतन आनंद साहब जो मदन मोहन जी के अलावा किसी दूसरे को सोचना भी पसंद नहीं करते थे। उन्होंने मदन मोहन जी की मौजूदगी में खय्याम साहब के साथ 'आखिरी खत' फिल्म की थी। इसका गाना 'बहारों मेरा जीवन भी सवारों' आज भी अपनी छाप रखता है।'
त्रिलोकी आगे कहते हैं- 'वहीं राज कपूर साहब के साथ में उन्होंने 'वो सुबह कभी तो आएगी' में काम किया था। खय्याम साहब का गाना राज कपूर साहब सुनने आए थे तो उन्होंने कहा था कि आपके अलावा कोई और इसका संगीत नहीं दे सकता है। इसके साथ ही 'कभी कभी' नज्म को भी फिल्म बनाया गया था। इस फिल्म के लिए खय्याम साहब को कोई कभी नहीं भूल सकता है। ऐसे लगता है कि उन्होंने कवि को डिस्टर्ब नहीं किया लेकिन अपनी बात कह दी।'
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इसके बाद त्रिलोकी प्रसाद ने कहा- 'वो हमारे बीच ही हैं। वो कही गए नहीं हैं, उनका संगीत हमारे बीच हैं। आप ये सोचिए की बप्पी लहरी का जमाना था, डिस्को का जमाना था ऐसे वक्त में उन्होंने गजल को लोगों के बीच लाया। रजिया सुल्तान के गाने ऐ दिल-ए-नादान जब गाना रिकॉर्ड हुआ थो उसका जिक्र हुआ था।खय्याम साहब ऐसे कलाकार थे कि आदमी उनके सामने बिछ जाता था।'
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