राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती भी विरोध में उतर आई हैं. उन्होंने कहा कि आरएसएस को अपनी आरक्षण विरोधी सोच छोड़ देनी चाहिए. मायावती ने ट्वीट कर लिखा, आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के संबंध में यह कहना कि इसपर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है. आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है, जिससे छेड़छाड़ अनुचित व अन्याय है. संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है.
दरअसल संघ प्रमुख ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके विरोध में हैं, उन्हें एक सौहार्दपूर्ण वातावरण में इस पर बातचीत करनी चाहिए. भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बोला है. उस पर काफी शोर-शराबा भी हुआ और पूरी बहस असली मुद्दे से हट गई.
आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के सम्बंध में यह कहना कि इसपर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है। आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित व अन्याय है। संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है।
— Mayawati (@Mayawati) August 19, 2019Advertisement
उन्होंने कहा कि जो लोग आरक्षण के पक्ष में हैं, उन्हें उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए, जो इसके खिलाफ हैं. इसी तरह जो विरोध में हैं, उन्हें पक्ष वालों के हितों का ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि आरक्षण पर बातचीत का नतीजा और प्रतिक्रिया हमेशा तीव्र देखी गई है. जबकि इस मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सौहार्द होना चाहिए. वहीं कांग्रेस ने भी संघ प्रमुख के बयान का विरोध किया है. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा हुआ उजागर. गरीबों के आरक्षण को खत्म करने के षड्यंत्र व संविधान बदलने की अगली नीति बेनकाब.