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मोदी ने कहा- कर्मण्ये वाधिकारस्ते क्या होता है, यह सुषमा जी ने अपने जीवन में दिखाया था

5 वर्ष पहले
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  • शाह ने कहा- सुषमाजी ने विश्वभर में भारतीयों की मदद की
  • रक्षा मंत्री सिंह बोले- वे जन-मन की नेता थीं
  • मोदी ने कहा- सुषमा जी विचारों की पक्की थीं
  • बांसुरी स्वराज ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया, कहा- आपने व्यक्तिगत रूप से हमेशा उनका साथ दिया

नई दिल्ली. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मंगलवार को श्रद्धांजलि दी गई। सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा सभी राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- कर्मण्ये वाधिकारस्ते क्या होता है, यह सुषमाजी ने जीवन में दिखाया। उनके व्यक्तित्व के अनेक पहलू थे। जीवन के अनेक पड़ाव थे।
 
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- सुषमाजी ने पूरे विश्व में भारतीयों की मदद की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- वे जन-मन की नेता थीं।
 

कार्यकर्ताओं के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा: मोदी
उन्होंने कहा- भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में एक अनन्य निकट साथी के रूप में उनके साथ काम करते-करते अनगिनत अनुभवों और घटनाओं के हम साक्षी हैं। व्यवस्था और अनुशासन के तहत जो भी काम मिले उसे जी-जान से करना और व्यक्तिगत जीवन में बहुत बड़ी ऊंचाई प्राप्त करने के बाद भी करना कार्यकर्ताओं के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है।
 

मोदी ने कहा- वे विचारों की पक्की थीं
मोदी ने कहा- इस बार जब सुषमाजी ने लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया, वैसा ही फैसला उन्होंने पहले भी किया था। वे अपने विचारों में बड़ी पक्की रहती थीं। मैंने और वेंकैयाजी ने उनसे मुलाकात की तो उन्होंने मना किया। हमने उनसे कर्नाटक की विपरीत परिस्थितियों में चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। उन्होंने परिणाम जानते हुए भी ऐसा किया। इस बार हमने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन इस बार उन्होंने सार्वजनिक घोषणा कर दी।
 

सुषमा जी का भाषण प्रेरक भी था: मोदी
उन्होंने कहा- सार्वजनिक जीवन में उन्होंने मिसाल पेश की। उनका भाषण प्रभावी होता था, केवल इतना ही नहीं है। उनका भाषण प्रेरक भी होता था। उनके व्यक्तित्व में विचारों की गहराई का अनुभव हो कोई करता था। अभिव्यक्ति की ऊंचाई हर पल नए मानक पार करती थी। दोनों में से एक होना तो स्वाभाविक है, लेकिन दोनों होना बहुत बड़ी साधना के बाद होता है। कृष्ण भक्ति को वे समर्पित थीं। उनके मनमंदिर में कृष्ण बसे रहते थे।
 

मोदी ने कहा- सुषमा जी को अनुच्छेद 370 के मुद्दे से जुड़ाव था
मोदी ने कहा- वे मुझे जय श्रीकृष्ण कहती थीं और मैं उन्हें जय द्वारकाधीश कहता था। कर्मण्ये वाधिकारस्ते क्या होता है, यह सुषमाजी ने अपने जीवन में दिखाया था। उन्होंने सैकड़ों घंटों तक अलग-अलग फोरम में अनुच्छेद 370 और कश्मीर पर बोला होगा। उनका इस मुद्दे से बहुत जुड़ाव था। सुषमा जी के जाने के बाद मैं बांसुरी से मिला। उन्होंने बताया कि सुषमा जी इतनी खुशी के साथ गई हैं, इसकी कल्पना ही की जा सकती है। उनका मन नाच रहा था। 
 

बांसुरी स्वराज ने कहा- मैं आभार प्रकट करती हूं
बांसुरी स्वराज ने कहा, “आज आप सब यहां दल और विचारधारा से उपर उठकर पधारे। इसके लिए मैं आभार प्रकट करती हूं। उन्होंने कई मुसीबतों का सामना किया। दुश्मनों को मित्र में तब्दील किया। वे काफी सरल और सुलझी हुई थी। मेरी वह अच्छी दोस्त थीं। उनकी 42 वर्ष की राजनीतिक तपस्या में आप सबने अपना योगदान दिया था। इसके लिए शुक्रिया।”
 

बांसुरी ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया
बांसुरी ने कहा- “प्रधानमंत्री जी, आपने व्यक्तिगत रूप से उनका साथ दिया। इसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं। आप सभी जनता का शुक्रगुजार हूं। यहां उपस्थित लोगों ने जो मुझे खुशी दी। उसकी शुक्रगुजार हूं। आप सभी यहां आए और हमारे परिवार का गम बांटा। इसके लिए धन्यवाद। अनुराधा पौडवाल जी और उनकी टीम का भी धन्यवाद। उन सभी का दिल से आभार, जिन्होंने हमें इस गम की घड़ी में ढांढस बंधाया।” 
 

6 अगस्त को सुषमा स्वराज का निधन हुआ
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (67) का 6 अगस्त की रात को निधन हो गया था। उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती किया गया था। निधन से 3 घंटे पहले सुषमा ने एक ट्वीट में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी। इसमें उन्होंने लिखा था- जीवन में इसी दिन की प्रतीक्षा कर रही थी।
 

2014 से 2019 तक विदेश मंत्री रहीं
सुषमा 2009 और 2014 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतीं। 2014 से 2019 तक वे विदेश मंत्री रहीं और दुनियाभर में भारतीयों को उन्होंने एक ट्वीट पर मदद मुहैया कराई। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के चलते 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। भाजपा की जीत के बाद मन जा रहा था कि वे दोबारा विदेश मंत्री बनेंगी, लेकिन उन्होंने खराब सेहत के चलते मंत्री पद नहीं लिया।


 

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