अब से 12 साल पहले मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस समेत कई स्थानों पर खुंखारत पाकिस्तानी आतंकियों ने हमला कर पूरे देश को दहला दिया था। उसमें से आतंकी कसाब को पहचानकर उसके ताबूत की आखिरी कील बनने वाली 26/11 दंगों की सबसे छोटी उम्र की गवाह नौ साल की बच्ची का सपना है कि वह आईपीएस अफसर बनें। बच्ची का नाम देविका एन.
रोटावण है। मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर आतंकियों की फायरिंग में उसके पैर में गोली लगी थी। उसने कसाब को सामने देखा था। अब 21 वर्ष की युवती हो चुकी देविका चाहती है कि वह स्वयं आतंकियों को खत्म करे। वह जान बचाने के लिए पिता के साथ भागने लगी। इसी दौरान एक गोली उसके पैर पर लगी और वह गिर गई। उसने देखा कि सामने कसाब खड़ा है और हंस रहा है। देविका डरावनी रात को बताते हुए सहम जाती है। उसने बताया कि आतंकियों के हमले से लोग चीख रहे थे। इधर-उधर भाग रहे थे। किसी तरह वह पास के जेजे हास्पिटल...
क्या ऐसा करके आप इस लड़की के लिए खतरा नहीं बढ़ा रहे हैं ? निजता के अधिकार के लिए लड़ने वालो क्या यह इसकी निजता का हनन नहीं है?
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