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ट्रिपल तलाक के खिलाफ थे, लेकिन राज्यसभा से वोटिंग के पहले भाग गए ये दल

विपक्षी दलों मसलन बसपा के 4, सपा के सात, एनसीपी के 2, पीडीपी के 2, कांग्रेस के 5,  टीएमसी, वामपंथियों पार्टियों, आरजेडी, डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस के एक-एक सांसद अनुपस्थित रहे. 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी के 78 और कांग्रेस के 48 सांसद हैं. बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था, लेकिन सांसदों की बड़ी संख्या में अनुपस्थिति की वजह से सदन में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई और वह बिल पास कराने में सफल रही. 

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राज्यसभा से मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पारित (IANS)
राज्यसभा से मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पारित (IANS)

विपक्षी दलों में एकजुटता की कमी के चलते मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में एक बार में तीन तलाक को अपराध घोषित करने वाले मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा से पास कराने में सफल रही. एनडीए के कुछ सहयोगी दलों सहित विपक्ष की तमाम पार्टियां शुरू से ही तीन तलाक बिल का विरोध करती रही हैं, लेकिन मंगलवार को इस पर उच्च सदन में वोटिंग हुई तो इनमें से कुछ वॉकआउट कर गए और कई सांसद अनुपस्थित रहे.  

बिल पर बहस के दौरान वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई ने कहा कि बिल का मैं 6 कारणों से विरोध करता हूं. पहली बात तो ये जब तलाक मान्य ही नहीं हो तो किस आधार पर गिरफ्तारी आदि का प्रावधान है? दूसरा, जब पति जेल में होगा तो वह गुजारा भत्ता कैसे देगा? तीसरी बात 3 साल की जेल से शादी के रिश्ते के दोबारा पनपने की संभावना बिल्कुल खत्म हो जाएगी. लेकिन वोटिंग के दौरान विजय साई सदन में अनुपस्थित थे.

बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा का कहना था कि हमारी पार्टी इस बिल के खिलाफ है और इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे नकार दिया है और आप फिर से इसे अस्तित्व में लाना चाहते हैं. इस बिल से महिलाएं सबसे ज्यादा प्रताड़ित होने वाली हैं क्योंकि पुरुष के जेल जाने के बाद महिलाएं भी कहीं की नहीं रह जाएंगी. सरकार ने बच्चों की देखरेख करेगी और न महिलाओं को गुजारा भत्ता देगी, ऐसे में उनका जीवन कैसे चलेगा. तीन तलाक पर इस तरह मुखर होने के बावजूद बसपा का कोई सांसद सदन में उपस्थित नहीं था.    

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एनसीपी सांसद माजिद मेमन ने भी बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि कहा कि आप किसी को बगैर अपराध के 3 साल की सजा देने जा रहे हैं, तलाक कहना कोई अपराध नहीं है. जेल में जाने के बाद भी शादी खत्म नहीं होगी और महिला को गुजारा भत्ता के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाना होगा. जेल में रह रहा पति कैसे पत्नी को भत्ता दे पाएगा, ऐसे में कानून फेल हो गया. महिला पति के घर में रहेगी तो उसे गुजारा भत्ता क्यों दिया जाएगा. ऐसे में महिला को पति का घर छोड़ना पड़ेगा और मां के घर जाना होगा. यह बिल मुस्लिम घरों की तोड़ने की कोशिश है और बर्बादी की ओर बढ़ाने वाला बिल है. इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहिए और यह पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है.

मगर जब बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के लिए सदन में वोटिंग हो रही थी उस दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल उपस्थित नहीं थे. तीन तलाक बिल का विरोध करने वाले एनडीए के सहयोगी दल तो वॉकआउट कर गए जिनमें अन्नाद्रमुख, जेडीयू शामिल हैं. गैर-एनडीए और गैर-यूपीए टीआरएस सदन में गैर मौजूद रही. लेकिन विपक्ष के दलों का नदारद रहना सवाल खड़े करता है.

विपक्षी दलों मसलन बसपा के 4, सपा के सात, एनसीपी के 2, पीडीपी के 2, कांग्रेस के 5,  टीएमसी, वामपंथियों पार्टियों, आरजेडी, डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस के एक-एक सांसद अनुपस्थित रहे. 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी के 78 और कांग्रेस के 48 सांसद हैं. बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था, लेकिन सांसदों की बड़ी संख्या में अनुपस्थिति की वजह से सदन में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई और वह बिल पास कराने में सफल रही.  

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