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कब किसी सांसद को संसद से किया जा सकता है बाहर, ये है एक्सपर्ट की राय

लोकसभा में पीठासीन महिला सांसद रमा देवी के खिलाफ आजम खान की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद से सांसदों के खिलाफ एक्शन लेने के कानूनी प्रावधानों को लेकर बहस छिड़ गई है. फिलहाल इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को फैसला लेना है. जब इस संबंध में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और लॉ प्रोफेसर डॉ. राजेश दुबे से बात की गई, तो उन्होंने आजम खान के खिलाफ एक्शन लेने को लेकर कानून-कायदे बताए. पढ़िए पूरी खबर.....

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भारतीय संसद
भारतीय संसद

लोकसभा में पीठासीन महिला सांसद रमा देवी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद से आजम खान पर एक्शन लेने और उनको सदन से बाहर करने की मांग की जा रही है. हालांकि अभी इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला का फैसला आना बाकी है. इससे पहले यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर आजम खान के खिलाफ लोकसभा स्पीकर क्या एक्शन ले सकते हैं?

इस संबंध में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और लॉ प्रोफेसर डॉ राजेश दुबे का कहना है कि लोकसभा स्पीकर को आजम खान के खिलाफ एक्शन लेने का अधिकार है. डॉ राजेश दुबे का कहना है कि स्पीकर लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियम (Rules of Procedure and Conduct of Business states) के तहत एक्शन ले सकते हैं.

संसद में लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियम (Rules of Procedure and Conduct of Business states) के नंबर 373 में कहा गया है कि यदि लोकसभा स्पीकर को सदन में किसी सांसद का व्यवहार बेहद आपत्तिजनक लगता है, तो स्पीकर उस सांसद को एक दिन के लिए सदन से निकाल सकते हैं.

इसके बाद दोषी संसद सदस्य को पूरे दिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने नहीं दिया जाएगा. वहीं, नियम नंबर 374-A में प्रावधान किया गया है कि यदि लोकसभा स्पीकर को किसी संसद सदस्य का व्यवहार घोर आपत्तिजनक महसूस होता है, तो लोकसभा स्पीकर ऐसे सांसद को पांच दिन की कार्यवाही या फिर उस समय चल रहे पूरे संसद सत्र से सस्पेंड कर दिया जाएगा. 

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डॉ राजेश दुबे और सुभाष कश्यप का कहना है कि आमतौर पर संसद में किसी सांसद के अशोभनीय बयान पर उससे माफी मांगने को कहा जाता है और उसके माफी मांगने के बाद मामला खत्म कर दिया जाता है. हालांकि लोकसभा स्पीकर चाहे, तो किसी सांसद को अनुचित व्यवहार के लिए जेल भी भेज सकता है. यह संसद के विशेषाधिकार के तहत आता है.

संविधान में क्या है प्रावधान

लॉ के प्रोफेसर डॉ राजेश दुबे का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 101 और 102 में किसी सांसद को अयोग्य घोषित करने का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही संसद ने संविधान के अनुच्छेद 102 (E) के तहत दलबदल अधिनियम और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम बनाया है, जिनके तहत भी किसी सांसद को सदन से बाहर करने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा सांसद खुद इस्तीफा देकर सदन से बाहर हो सकता है.

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और लॉ के प्रोफेसर डॉ राजेश दुबे का कहना है कि अनुच्छेद 105 में प्रावधान किया गया है कि संविधान के उपबंधों और संसद के नियमों के अधीन रहते हुए हर सांसद को लोकसभा या राज्यसभा में अपनी बात रखने का अधिकार होगा. इस अनुच्छेद में सांसदों को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं.

इनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 101 और 102 में सांसद को अयोग्य घोषित करने और सदन से बाहर करने का प्रावधान किया गया है. अनुच्छेद 101 और 102 में किसी सांसद को अयोग्य घोषित करने की शर्तें दी गई हैं. इनमें दी गई शर्तों के अधीन रहते हुए ही किसी सांसद को अयोग्य घोषित किया जा सकता है. ये शर्तें इस प्रकार हैं....

A. अगर कोई सांसद भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी ऐसे लाभ के पद पर है, जिसकी कानून इजाजत नहीं देता है, तो वो सांसद अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

B. अगर कोई सांसद दिमागी रूप से विकृत यानी अनसाउंड माइंड हो गया है और किसी सक्षम न्यायालय ने ऐसी घोषणा की है, तो उस सांसद को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.

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C. अगर कोई सांसद दिवालिया हो गया है, तो भी उसको संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

D. अगर किसी सांसद ने किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर ली है, तो भी उसको अयोग्य घोषित किया जा सकता है.

दल-बदल विरोधी कानून और जनप्रतिनिधित्व कानून

डॉ राजेश दुबे का कहना है कि इसके अलावा संसद के बनाए गए कानून के उल्लंघन पर भी सांसद को अयोग्य घोषित किया जा सकता है. संसद ने संविधान के अनुच्छेद 102 (E) का इस्तेमाल करके संसद ने दल बदल विरोधी कानून और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम बनाया है. उन्होंने बताया कि दल बदल विरोधी कानून के तहत अगर कोई सदस्य किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर संसद पहुंचता है, तो उसको सदन से बाहर किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 और 8A के तहत किसी सांसद को अयोग्य घोषित करने का प्रावधान किया गया है. इनके तहत कई अपराध और अधिनियम का जिक्र किया गया है, जिनमें दोषी पाए जाने और सजा मिलने पर उनको अयोग्य घोषित करने की बात कही गई है.

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