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...अब अंतरिक्ष में होगा भारत का दबदबा, कई चुनौतियों से गुजरकर खजाने तक पहुंचेगा यान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रशांत कुमार Updated Mon, 22 Jul 2019 12:04 PM IST
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chandrayaan-2 launch ISRO's Second Launch Attempt, Countdown for Moon mission
चंद्रयान 2 - फोटो : self
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चंद्रयान-2 के चांद पर कदम रखते ही भारत अंतरिक्ष युग में नए दौर में प्रवेश कर जाएगा। चंद्रयान-1, मंगलयान और अब चंद्रयान-2 के बाद वर्ष 2022 तक गगनयान के जरिए मानव को पृथ्वी की कक्षा में भेजने के साथ ही अंतरिक्ष में हमारा भी दबदबा कायम होगा। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का लक्ष्य जनता को लाभ पहुंचाना है।



किसान हों, मछुआरे हों, या आप और हम एटीएम से पैसे निकालने जैसी कई सुविधाएं अपने उपग्रहों की मदद से ही हासिल कर रहे हैं। इसी कड़ी में इसरो 2022 तक गगनयान के जरिए भारतीय को अंतरिक्ष में भेजेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किले से इसे महत्वाकांक्षी मिशन का एलान किया था।


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मिशन का सॉफ्टवेयर भी स्वदेशी
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के पूर्व वैज्ञानिक गौहर रजा के मुताबिक लॉंचिंग के अंतिम पलों तक वैज्ञानिकों पर काफी दबाव रहता है। ऐसे दबाव में भी उन्हें सही फैसले लेने होते हैं। वहीं डीआरडीओे के रिटायर्ड वैज्ञानिक रवि गुप्ता कहते हैं कि यह मिशन हमारे देश के लिए काफी मायने रखता है। गुप्ता के मुताबिक यह मिशन पूर्ण रूप से स्वदेशी है। इसे पूरी तरह से हमारे वैज्ञानिकों ने डिजाइन और विकसित किया है।यहां तक कि इसका सॉफ्टवेयर भी हमारे ही वैज्ञानिकों ने बनाया है।

नासा ने भी पानी के सबूत होने के दिए थे संकेत
सितंबर 2009 में नासा ने ऐलान किया था कि चंद्रयान-1 के आंकडों ने चंद्रमा पर बर्फ होने के सबूत पाए गए हैं। अन्य अंतरिक्ष यानों की टिप्पणियों ने भी चांद पर पानी होने के संकेत दिए हैं। नासा ने नवंबर 2009 में घोषणा की थी कि नासा ने लूनर क्रेटर ऑब्जर्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट ने चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में पानी की मात्रा के संकेत दिए है।

मिशन में कामयाब रहा था चंद्रयान-1
चंद्रयान-1 चंद्रमा पर जाने वाला भारत का पहला मिशन था। चंद्रयान-1, 22 अक्टूबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में भेजा गया था। ये आठ नवंबर 2008 को चंद्रमा पर पहुंच गया था। इस चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में 312 दिन बिताए थे। इसरो के तत्कालीन चेयरमैन जी माधवन नायर ने चंद्रयान मिशन पर संतोष जताया था। उनहोंने बताया था कि चंद्रयान को चंग्रमा के कक्ष में जाना था कुछ मशीनरी स्थापित करनी पड़ी थी। भारत का झंडा लगाना था और आंकड़े भजने थे और चंद्रयान ने ये सारे काम पूरे किए।

कई चुनौतियों से गुजरकर खजाने तक पहुंचेगा यान

कई चुनौतियों से गुजरकर खजाने तक पहुंचेगा यान
सोमवार अपराह्न 2.45 बजे जब चंद्रयान-2 बाहुबली यानी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III पर सवार होकर चंद्रमा की ओर उड़ान भरेगा तो यह अंतरिक्ष में भारत की नई गौरव यात्रा का आगाज होगा। यह भारत के लिए बेहद लाभदायक साबित होने वाली है। चंद्रयान-2 पृथ्वी के उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा जो खनिजों और पानी से भरपूर माना जाता है। चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजकर दुनिया को नई उम्मीद बंधाई थी तो अब हम इंसान के लिए खनिजों के नए स्रोत ढूंढ़ने का आधार बनेंगे।

चंद्रमा यूरेनियम, मैग्नीशियम और टाइटेनियम आदि बहुमूल्य धातुओं के भंडार हैं। वहां सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए भी पर्याप्त अवसर मौजूद हैं। ये बहुमूल्य खनिज एक दिन पृथ्वी के काम भी आ सकते हैं। इसके अलावा ईंधन का स्रोत चांद पर उपलब्ध होने से भविष्य में अतंरिक्ष अभियानों के लिए बेस बनाया जा सकता है।
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