पुणे का इंजीनियर बनना चाहता है कांग्रेस अध्यक्ष, कहा- मेरे पास पार्टी को पुनर्जीवित करने का ब्ल्यूप्रिंट

5 वर्ष पहले
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  • पुणे में एक मैन्युफैक्चरिंग फर्म में मैनेजर के रूप में कार्यरत है युवक 
  • कहा- मौजूदा समय में कांग्रेस को पुनर्जीवित करना देश की जरुरत है 

पुणे. यहां के एक इंजीनियर ने कांग्रेस का अध्यक्ष बनने की इच्छा जताई है। 28 साल के इस युवक का नाम गजानंद होसले है। उन्होंने कहा कि उनके पास पार्टी को पुनर्जीवित करने का ब्लूप्रिंट है। होसले मंगलवार को पुणे  के कांग्रेस अध्यक्ष रमेश बागवे को अपना आवेदन सौंपेंगे। इससे पहले वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता लेंगे।

 

गजानंद ने कहा, ‘‘राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। वह दोबारा पद संभालने के मूड में नजर नहीं आ रहे। पार्टी इस बात को लेकर असमंजस में है कि किसे नया अध्यक्ष बनाया जाए। ऐसे में मैं इस पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करना चाहता हूं। मौजूदा समय में कांग्रेस को पुनर्जीवित करना देश की जरूरत है। राहुल खुद कहते हैं कि पार्टी को युवा नेतृत्व चाहिए। मैं सोचता हूं कि पार्टी का अध्यक्ष न सिर्फ उम्र से युवा हो बल्कि उसकी सोच और काम करने का तरीका भी वैसा ही होना चाहिए।’’

 

कोई राजनीतिक अनुभव नहीं

गजानंद पुणे में मैन्युफैक्चरिंग फर्म में मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं। वह कहते हैं कि कांग्रेस के काफी कार्यकर्ता पार्टी छोड़ रहे हैं, इससे पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित होगा। होसले ने यह बात भी स्वीकारी की कि उन्हें इससे पहले किसी भी राजनीतिक पार्टी या सामाजिक संगठन में काम करने का कोई अनुभव नहीं है।

 

गजानंद से जब पूछा गया कि वह कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी क्यों नहीं ज्वाइन करते? उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इस बात की आशंका है कि मैं दरकिनार कर दिया जाऊं। महात्मा गांधी, कार्ल मॉर्क्स और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए होसले ने कहा कि इन तीन महान लोगों के सिद्धांत अपनाकर भारत एक कल्याणकारी राज्य बन सकता है। 

 

प्रियंका में नेतृत्व करने की क्षमता: नटवर
पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नटवर सिंह ने रविवार को कहा कि अगर कोई गैर-गांधी अध्यक्ष बना तो पार्टी टूट जाएगी। नटवर ने प्रियंका के सोनभद्र दौरे की तारीफ करते हुए कहा कि उनमें पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता है। उन्होंने (प्रियंका) यूपी में जो कुछ किया, वह आश्चर्यजनक है। वे गांव में रुकी रहीं, वह सब हासिल किया जो वह चाहती थीं। मुझे लगता है कि राहुल को अपना यह फैसला बदलना चाहिए कि बाहर का कोई व्यक्ति पार्टी संभाले। केवल गांधी परिवार ही अपने फैसले को उलट सकता है।

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