प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना व मनरेगा में बजटीय आबंटन में कमी के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए आबंटन बढ़ाकर इसे ‘जनोपयोगी’ बनाया गया है। हालांकि तोमर ने यह भी कहा कि वह हमेशा इसे चलाए रखने के पक्षधर नहीं हैं क्योंकि यह योजना गरीबों के लिए है और मोदी सरकार का लक्ष्य गरीबी को खत्म करना है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े स्वयं सहायता समूहों का जिक्र करते हुए कहा कि इन स्वयं सहायता समूहों को करीब दो लाख करोड़ रुपए दिया गया है और इन स्वयं सहायता समूहों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) सिर्फ 2.7 फीसद है जिसमें महिलाएं हैं। सदन को बैंकों में बड़े लोगों से जुड़े एनपीए के बारे में मालूम है जबकि इन स्वयं सहायता समूहों का एनपीए सिर्फ 2.7 फीसद है ।

लोकसभा में वर्ष 2019-20 के लिए ग्रामीण विकास और कृषि व किसान कल्याण मंत्रालयों के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना हो, मनरेगा हो, ग्रामीण आवास योजना हो-कहीं बजट में कटौती नहीं की गई है। अगर जरूरी हुआ है तब अतिरिक्त राशि आबंटित की गई है। ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तीसरे चरण को हाल ही में कैबिनेट की मंजूरी मिली है। इसके तहत देश में 1.25 लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा जिस पर करीब 80 हजार करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है और इन सड़कों का निर्माण 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री सड़क परियोजना के दूसरे चरण में 29 हजार किलोमीटर सड़क बना दी गई है। कई क्षेत्रों में पहले और दूसरे चरण में सड़कें बना दी गई हैं।

ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि पिछले बजट में आबंटन 55 हजार करोड़ रुपए था और जरूरत आई तो और पैसे लिए गए। इस बार 60 हजार करोड़ रुपए के आबंटन का प्रस्ताव किया गया। मनरेगा में आबंटन कम करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि 2018-19 में हमने एक करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य रखा था और 1.53 करोड़ आवास बनाए गए। तोमर ने कहा कि 2021-22 में 1.95 करोड़ मकान और बनाने का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए बजट की व्यवस्था होगी। यह 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने की प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का हिस्सा है। मंत्री के जवाब के बाद आरएसपी के एनके प्रेमचंदन ने अपना कटौती प्रस्ताव वापस ले लिया और सदन ने मंत्रालय से संबंधित अनुदान मांगों को ध्वनिमत से पास कर दिया।