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Mumbai Building Collapse: लोगों को क्या पता था कि आज की सुबह उनकी आखिरी सुबह होगी!
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Mumbai Building Collapse: लोगों को क्या पता था कि आज की सुबह उनकी आखिरी सुबह होगी!

मंगलवार सुबह करीब 11 बजे चार मंजिला केसरबाई बिल्डिंग भरभरा कर ताश के पत्तों की तरह ढह गई.
मंगलवार सुबह करीब 11 बजे चार मंजिला केसरबाई बिल्डिंग भरभरा कर ताश के पत्तों की तरह ढह गई.

इस बिल्डिंग के साथ एक और त्रासदी यह भी है कि 2017 में बीएमसी ने स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट महाडा को सबमिट की थी, जिसमें ...अधिक पढ़ें

    मुंबई के डोंगरी इलाके में केसरबाई बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को नहीं पता था कि आज की सुबह उनकी आखिरी सुबह होगी. मुंबई के डोंगरी इलाके में मंगलवार को बड़ा हादसा हुआ. लगातार बारिश के चलते एक 4 मंजिला बिल्डिंग ढह गई. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे चार मंजिला केसरबाई बिल्डिंग भरभरा कर ताश के पत्तों की तरह गिर गई. अब तक इस बिल्डिंग से 4 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं, जबकि करीब 10 लोग अभी भी मलबे में दबे हैं, जिनको निकालने का काम चल रहा है.

    संकरी गली की वजह से रेस्क्यू में दिक्कत

    घटनास्थल पर लगातार अधिकारी से लेकर सरकार से जुड़े मंत्रियों का दौरा हो रहा है


    घटनास्थल पर लगातार अधिकारी से लेकर सरकार से जुड़े मंत्रियों का दौरा हो रहा है. घटनास्थल पर दौरा कर सरकार के मंत्री और अधिकारी अस्पताल में भी जा कर खानापूर्ति में लगे हुए हैं. हादसे में शिकार हुए लोगों के परिजनों को सिवाय आश्वासन के अभी फिलहाल कुछ नहीं मिल सका है.

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    केसरबाई के हादसे के बाद अब मुंबई की उन तमाम बिल्डिंगों के ऊपर भी सवाल खड़े हो गए हैं जो जर्जर अवस्था में हैं. पूरे मुंबई में करीब 15 से 16 हजार ऐसी बिल्डिंग हैं जिन पर बीएमसी ने ऑब्जेक्शन रखा है. वहीं 499 ऐसी बिल्डिंग हैं जो पूरी तरीके से रहने के लिए असुरक्षित हो चुकी हैं. बीएमसी पिछले 2 साल से वहां के रहने वालों को निकालने की कोशिश कर रही है. लेकिन, अब तक बीएमसी को इसमें सफलता नहीं मिली है.

    नोटिस देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश
    पिछले कुछ समय से हुए हादसों पर गौर करें तो ये बात सामने आई है कि बीएमसी सिर्फ नोटिस देकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करती रही है. ऐसी बिल्डिंगों में रहने वालों की मजबूरी है कि वह जाएं तो जाएं कहां. ऐसे लोगों को रहने के लिए बीएमसी जो घर देती है वह मुंबई से काफी दूर होता है. वहीं जिन बिल्डरों को इन बिल्डिंगों को दोबारा बनाने के लिए काम दिया जाता है वह उस प्रोजेक्ट को लटका देते हैं. इससे कोई भी शख्स बिल्डरों पर भरोसा नहीं करता और लोग जान जोखिम में डालकर उन पुरानी बिल्डिंग्स में ही रहने पर मजबूर हो जाते हैं.



    इस बिल्डिंग के साथ एक और त्रासदी यह भी है कि 2017 में बीएमसी ने स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट महाडा को सबमिट की थी, जिसमें उसने बताया था कि यह बिल्डिंग रहने लायक नहीं है. महाराष्ट्र हाउसिंग व एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) महाडा तुरंत यहां पर रह रहे लोगों को एक नोटिस जारी करके खाली करने का आदेश भी दिया था. अब घटना के बाद महाडा इस बात से साफ इंकार कर दिया कि यह बिल्डिंग महाडा के अंदर में आती है.

    BSB डेवलपर्स की है बिल्डिंग
    जबकि, महाडा मान रही है कि यह बिल्डिंग महाडा में नहीं बल्कि बीएमसी में आती है उसी समय बीएमसी ने भी डॉक्यूमेंट जारी करके यह बता दिया कि 2017 में बीएमसी ने महाडा को खत लिखा था और इससे साफ है कि यह बिल्डिंग महाडा के अंडर में आती है.

    अब दोनों ही संस्थाएं इस घटना के बाद एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं, लेकिन इन सब से उलट उन तमाम लोगों की जिंदगी जो अब खत्म हो चुकी है. इतने बड़े हादसे के बाद अब उनके परिवार वाले आखिर किससे इंसाफ की मांग करें?  सरकार ने फिर एक नई जांच कमेटी गठित करने का आश्वासन दे दिया है लेकिन क्या जांच कमेटी मुंबई में ऐसे ही चलती रहेगी और लोगों की जिंदगी हर दिन खत्म होती रहेंगी?

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    Tags: Accident, BJP, Devendra Fadnavis, Maharashtra, Mumbai, Mumbai police, Mumbai Rains, Shiv sena