भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है. मौजूदा आर्थिक हालात इस बात की इजाजत नहीं देते कि भारत सरंक्षणवाद की राह पर चले. अगर भारत संरक्षणवाद के तर्ज पर खुद को आगे बढ़ाता है, तो यह भारत के लिए अच्छा नहीं होगा. यह कहना है वैश्विक स्तर पर जाने-माने पत्रकार और अर्थव्यवस्था के जानकार फरीद जकारिया का.
फरीद जकारिया ने कहा, 'दावोस के एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति ने दुनिया को समझाया कि वे कैसे व्यापार, सीमित आव्रजन और नियंत्रित प्रौद्योगिकी को प्रबंधित करना चाहते थे. चीन अपनी तकनीक संरक्षित कर निश्चित सीमा में मुक्त व्यापार को मंजूरी देता है. और इसलिए हम खुलेपन की जगह मैनेज्ड तरीके से आगे बढ़ गए.'मुक्त व्यापार की जरूरत
फरीद जकारिया ने कहा कि सरंक्षणवाद भारतीय परिदृश्य में काम नहीं करता है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अच्छी तरह से ढाला है. फरीद जकारिया ने कहा कि दो साल पहले नरेंद्र मोदी दावोस आए थे. अगर उनके भाषण पर गौर करें तो जाहिर होगा कि उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की आचोलना की थी. उनके भाषण से कई राष्ट्र अवाक रह गए थे. व्यापार डूब रहा है. हमें और अधिक मुक्त व्यापार की जरूरत है. लेकिन भारत अब संरक्षणवाद का विश्व चैम्पियन बन गया है.
फरीद जकारिया ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन संरक्षणवाद पर आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि वे भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना में बहुत अधिक उदार हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक खुलेपन की जरूरत है. विदेशी निवेश की जरूरत है. फरीद जकारिया ने कहा कि 1990 के दशक की शुरुआत में शुरू की गई उदार आर्थिक प्रणाली भारत को आगे ले जाने में मददगार साबित हुई थी. अगर भारत आर्थिक तौर पर उदारवाद की ओर नहीं बढ़ता है और संरक्षणवादी रुख अख्तियार किए रहता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुंच सकती है.
FareedZakaria उदार नहीं ! न्यायिक समानता, यहूदी इसाई बीच; जो, जैन सनातन बीच 10%भी नहीं! मंदीभगाने लोकतंत्र बढाने का, ऐकही उपाय अनुत्पादक कम्पनी HDFC AMC IRCTC IGL MGL TCS M TECH ... आदिपर सरकार OMCs जैसी कर प्रणाली ला, लाभ की मात्रा में ! रेवेन्यु लेते !! तय कर, समृद्ध अर्थ व्यवस्था लाऐ!
FareedZakaria विश्व के अन्य देश जब स्कूलों से भी परिचित नहीं थे उस समय से भारत में वेद ज्ञान,विज्ञान विश्व के अन्य देश जब सर्जरी की सोच भी नहीं सकते थे उस समय भारत में सर्जरी होती थी,जब अन्य सायकल से अनजान थे उस समय भी भारत में विमान थे, उदारवाद के लिए क्या अपने देश की प्रतिभा नष्ट कर दें?
FareedZakaria ना कोई नयी फैक्ट्री खुल रही हैं ना कोई मीलें खुल रही हैं और ना ही कोई स्टार्ट अप चल पा रही है. तो अर्थव्यवस्था के L तो लगेंगे ही.
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