दिल्ली हाई कोर्ट ने दरियागंज हिंसा में आरोपित भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदर्शन के मुद्दे पर दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मंगलवार को सख्त लहजे में कहा - 'जामा मस्जिद कोई पाकिस्तान में नहीं है, जहां पर प्रदर्शन नहीं हो सकता है।' कोर्ट ने यह भी कहा- 'आप इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं कि जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में है।'
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि लोग कहीं भी शांतिपूर्ण ढंग से अपना प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने जामा मस्जिद के बाहर प्रदर्शन पर कहा कि जामा मस्जिद पाकिस्तान में नहीं है, जहां पर प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। साथ ही कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन तो पाकिस्तान में भी होते हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर यह टिप्पणी चंद्रशेखर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने यह भी कहा कि धरना में गलत क्या है? विरोध करने में क्या गलत है? धरना देना...
यहां पर बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के विरोध में 20 दिसंबर को उत्तर पूर्वी के कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों में आग लगा दी थी। इसके अलावा, पुलिसवालों पर पथराव भी हुआ था। इसके बाद कार्रवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था,जिसमें कुछ नाबालिग भी थे। वहीं, पिछले सप्ताह 9 जनवरी को 15 आरोपितों को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने जमानत दे दी थी।Delhi Election 2020 : कई AAP विधायकों को सता रहा टिकट कटने का डर, ये है...
DelhiPolice dtptraffic तो कोर्ट की इस बात से यह मान लेना चाहिए कि शाहीन बाग का धरना प्रर्दशन उचित है और उसे वहां से हटाने का अधिकार नहीं है फिर चाहे उस धरने के पीछे कितनी भी बर्बादी हो वह सब सही है अंततः निष्कर्ष बाकी जनता जाए भाड़ में 🙏
लोकतंत्र में हज़ारो की हिंसक अराजक भीड़ राजनीतिक पार्टी को हज़ारो वोटर नज़र आते है सत्ता आँख में आंख मिलाकर उस पर कार्यवाही करने से डरता है और विपछ उस वोटरों को अपने पछ में करने के लिये हर हथकंडा अपनाने को तैयार बैठा है
लोकतंत्र में प्रशासन ,पुलिस ,न्यायलय हज़ारो की अराजक भीड़ जो हिंन्सा तोड़फोड़ आगजनी पर उतर आए उसके सामने निरीह औऱ कमज़ोर है
कोर्ट के हिसाब से 100 200 सर फूट जाता तब गिरफ्तारी होनी चाहिए थी....
जब अपराध करने वाले दो चार हो तो वो अपराध होता है लेकिन हज़ारो की भीड़ जब अपराध करती है हाई कोर्ट क्या सुप्रीम कोर्ट की फटती है
काश! इस न्यायाधीश महोदय का कोई परिवार इस प्रदर्शनकारी के पत्थर से घायल होता, इनका कोई परिवार का एम्बुलेंस को घंटों जाम में रोका जाता, खुद न्यायाधीश महोदय के कार को जाम में खड़ा कर देता और दिल्ली पुलिस हाथ खड़ा कर देती। शायद आज रुख कुछ और होता।
और प्रदर्शन के नाम पर आगजनी, पत्थरबाजी, तोड़फोड़, हिंसा भी जायज़ है? धन्य हो न्यायाधीश महोदय, आपको शत-शत नमन्।
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