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What message Amit Shah is giving by responding in asaduddin owaisi language
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ओवैसी की भाषा में जवाब देकर क्या संदेश दे रहे हैं अमित शाह?
शशिधर पाठक, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Mon, 15 Jul 2019 09:59 PM IST
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गृह मंत्री अमित शाह और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
- फोटो : फाइल फोटो
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अमित शाह ने एनआईए बिल पर चर्चा के दौरान अंगुली दिखाई तो सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी भाषा में प्रतिकार किया, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसमें जरा भी देर नहीं लगाई। तेवर के साथ खड़े हुए और अपने अंदाज में ही असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया का जवाब दे दिया। अमित शाह कुछ इसी अंदाज में संसद के दोनों सदनों में हिस्सा ले रहे हैं। कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव लेकर गृहमंत्री संसद में आए थे, तब भी दोनों सदनों में उनका तेवर इसी तरह का था। यहां तक कि लोकसभा में विपक्ष ने केंद्रीय गृहमंत्री पर गुस्सा होकर जवाब देने का आरोप तक लगाया था।
क्या था मामला
सोमवार 19 जुलाई को एनआईए बिल पर चर्चा के दौरान बागपत से भाजपा के सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर अपना पक्ष रख रहे थे। इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सत्यपाल सिंह हैदराबाद की जिस घटना का जिक्र सदन में रख रहे हैं, उसके साक्ष्य भी सदन में रखें। ओवैसी की इस मांग पर शाह खड़े हुए और अंगुली से ईशारा करते हुए विपक्ष के सांसदों को सुनने की आदत डालने की नसीहत दे दी। इस पर ओवैसी खड़े हुए और उन्होंने कहा कि (अंगुली दिखाने पर) हमें डराइए मत। मैं डरने वाला नहीं हूं। शाह ने इस पर ओवैसी को जवाब दिया कि जब आपकी जेहन में डर है तो मैं (शाह) क्या कर सकता हूं।
मेरी तरफ से कोई नहीं बोलेगा... लेकिन
संसद में किसी विषय पर चर्चा के दौरान टोका-टोकी आम रही है। लोकतंत्र की पंचायत में इसे सांसद अपना पक्ष रखने की स्वतंत्रता से भी जोड़ते हैं। टोका-टोकी अधिक होने पर सत्ता पक्ष या विपक्ष की तरफ से जरूरत पड़ने पर पार्टियों के वरिष्ठ नेता या जिम्मेदार व्यक्ति सदस्यों को शांत रहने का इशारा करते हैं, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का अंदाज निराला है। अमित शाह अपनी सीट पर खड़े होते हैं और सदन को आश्वस्त करते हैं उनकी तरफ से अब कोई टोका-टोकी नहीं करेगा, लेकिन जब बोलेंगे (जवाब देंगे) तो विपक्ष की तरफ से कोई न करे? यह शाह की संगठन पर पकड़, अपनी पार्टी के संसदों में विश्वास है कि उनके हस्तक्षेप के बाद सत्ता पक्ष का कोई सांसद नहीं बोलता। हालांकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद इसे केंद्रीय गृहमंत्री का तानाशाही रवैया मानते हैं।
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केंद्रीय गृहमंत्री इतना खुलकर क्यों कर रहे हैं बर्ताव?
कांग्रेस पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि यह लोकसभा में हुआ है। मैं क्या कह सकता हूं, लेकिन राज्यसभा में जब ऐसी स्थिति आएगी तो देखा जाएगा। हालांकि सूत्र का कहना है कि केंद्रीय गृहमंत्री की मंशा ठीक नहीं है। वह सदन के सदस्यों पर अपना इस तरह से प्रभाव जमाकर डर पैदा करना चाहते हैं। इस मामले में भाजपा के सांसद प्रतिक्रिया देने से बचते दिखाई दिए। हालांकि इस बारे में पिछली मोदी सरकार के एक मंत्री ने कहा कि शाह स्पष्टवादी हैं। वह बिना लाग, लपेट के तथ्यों पर बात करते हैं। वह पार्टी के कामकाज के मामले में भी इसी तरह से रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री को साफगोई पसंद है।
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शाह के अंदाज से बुलंद है भाजपा का हौसला
इलाहाबाद के संघ के कार्यकर्ता ज्ञानेश्वर शुक्ला का कहना है कि केंद्रीय गृहमंत्री के साफ तरीके से पक्ष रखने से सही संदेश जाता है। उन्होंने कश्मीर में अलगाववादियों, आतंकियों को लेकर कहा कि उनके मन में डर होना चाहिए, ज्ञानेश्वर के अनुसार इससे भारतीयता और राष्ट्रवाद को मजबूती मिली है। कांग्रेस पार्टी के रोहन गुप्ता का कहना है कि इस तरह की चीजें सोशल मीडिया पर खूब चलती हैं। भाजपा जो संदेश देना चाहती है, संसद से अमित शाह वहीं बोल रहे हैं। उसी तरह का आचरण कर रहे हैं। रोहन के अनुसार इसका भाजपा को काफी लाभ हो रहा है।
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