देश में डॉक्टरों की भारी कमी है इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि सरकार ने पिछले दो सालों में एमबीबीएस की 26 प्रतिशत से ज्यादा सीटें बढ़ाई हैं। जिससे सीटों की संख्या बढ़कर 75,000 हो गई है। इसके अलावा दो सालों में पीजी मेडिकल में 8900 सीटें जोड़ी गई हैं ताकि देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या में इजाफा हो सके।
#PG कोर्स में सीटें बढ़ाने को लेकर पूछे एक सवाल के जवाब में मैंने कहा कि पिछले 8-9 महीनों में जितनी #PG सीट बढ़ी हैं उतनी शायद भारत के इतिहास में कभी नहीं बढ़ी। इस वर्ष #MBBS में 4800 सीट #NEET के अंदर इकोनॉमिकल बैकवर्ड छात्रों के लिए रखी गई हैं @MoHFW_INDIA #ParliamentSession pic.twitter.com/LyaBIIhEBO
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) July 12, 2019
हर्षवर्धन ने कहा कि इस साल मार्च तक देश में पंजीकृत एलोपैथी डॉक्टर्स की संख्या 11.60 लाख थी। जिसका अनुपात सवा करोड़ वर्तमान जनसंख्या की तुलना में 1:1456 है। यानी एक डॉक्टर पर 1456 मरीज। यह अनुपात विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक से काफी कम है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार एक हजार व्यक्तियों पर एक डॉक्टर होना चाहिए।
देश में इस समय 7.88 लाख आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी डॉक्टर्स हैं जिन्हें यदि एलोपैथी डॉक्टर्स के साथ मिला दिया जाए तो समग्र डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:867 हो जाता है। यानी 867 व्यक्तियों पर एक डॉक्टर। यह अनुपात डब्ल्यूएचओ के मानकों के हिसाब से बेहतर है।
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स्वास्थ्य विभाग प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की मांग को पूरा करने के लिए इन डॉक्टर्स की सेवाओं का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है। जिससे कि दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की सेवाओं को उपलब्ध कराया जा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार ने 82 नए मेडिकल कॉलेज खोले हैं। जिससे कि जिला अस्पतालों और रेफरल अस्पतालों को मजबूत किया जा सके।विज्ञापन विज्ञापन रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
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