दिल्ली उच्च न्यायालय ने ई-सिगरेट की बिक्री को लेकर आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली सरकार को बृहस्पतिवार को फटकार लगाते हुए उसे निर्देश दिया कि वह ई-सिगरेट की बिक्री और खपत के विनियमन के मामले को तत्काल देखें। उच्च न्यायालय ने ई सिगरेट को ‘गंभीर ज्वलंत’ मुद्दा बताया क्योंकि यह बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है जिन्होंने इन उत्पादों का सेवन शुरू कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि वह पिछले एक साल से क्या कर रही है? एक साल पहले सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि वह ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए कदम उठा रही है। पीठ ने यह भी पूछा कि अधिकारी मामले को देख भी रहे हैं या नहीं।

पीठ ने कहा, ‘‘ क्या आप कुछ कर रहे हैं? यह बच्चों को जो नुकसान पहुंचा रहा है उसे देखिए। क्या कोई इस मामले को देख रहा है?… तत्काल देखिए। उनमें निकोटिन के तत्व को देखिए… यह गंभीर ज्वलंत मुद्दा है।’’ अदालत ई- सिगरेट की बिक्री और खपत का विनियमन करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को सूचित किया कि आजकल स्कूली बच्चों ने भी ई-सिगरेट का सेवन शुरू कर दिया है जिसमें निकोटिन होता है।

इस पर अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील संजॉय घोसे से मुख्य सचिव के जरिए एक हलफनामा दायर करने को कहा जिसमें ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिए नीति बनाने के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा हो। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल अदालत को सूचित किया था कि सरकार ने ई-सिगरेट के उत्पादन, बिक्री और आपूर्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाए हैं। साथ में लोगों को जागरूक करने के लिए भी कदम उठा रहे हैं।